For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बेटियों आगे बढ़ो/ग़ज़ल/कल्पना रामानी

212221222122212  

 

सीख लो अधिकार पाना, बेटियों आगे बढ़ो।

स्वप्न पूरे कर दिखाना, बेटियों आगे बढ़ो।

 

चाहे मावस रात हो, जुगनू सितारे हों न हों,

ज्योत बनकर जगमगाना, बेटियों आगे बढ़ो।

 

सिर तुम्हारा ना झुके, अन्याय के आगे कभी,

न्याय का डंका बजाना, बेटियों आगे बढ़ो।

 

ज्ञान के विस्तृत फ़लक पर, करके अपने दस्तखत,

विश्व में सम्मान पाना, बेटियों आगे बढ़ो।

 

तुम सबल हो,  बाँध लो यह बात अपनी गाँठ में,

क्यों सुनो अबला का ताना, बेटियों आगे बढ़ो।

 

रूढ़ियों की रीढ़ तोड़ो, बेड़ियाँ सब काट कर,

दिलजलों के  बुत जलाना, बेटियों आगे बढ़ो।

 

भागने देखो न पाएँ, नाग जो तुमको डसें,

फन कुचल उनके दिखाना, बेटियों आगे बढ़ो।

 

सीख लो गुर निज सुरक्षा के सदा रहना सजग,

है बड़ा ज़ालिम ज़माना, बेटियों आगे बढ़ो।

     

 गर्भ में ही फिर तुम्हारा, अंश ना हो अस्तमित,

'कल्पना' खुद को बचाना, बेटियों आगे बढ़ो।  

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 607

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कल्पना रामानी on April 11, 2014 at 6:23pm

हार्दिक धन्यवाद अन्नपूर्णा जी

Comment by annapurna bajpai on April 10, 2014 at 10:20pm

सुंदर गजल आ0 कल्पना दीदी । 

Comment by कल्पना रामानी on April 3, 2014 at 9:46pm

सादर धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 3, 2014 at 3:20am

ऊर्जस्वी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं शुभकामनाएँ, आदरणीया कल्पनाजी.

Comment by कल्पना रामानी on March 27, 2014 at 10:14pm

आ॰ मुकेश जी, आ॰ लक्ष्मण जी, आ॰ अभिनव अरुण जी, आ॰ अखिलेशजी, आ॰ अरुण अनंत जी, आ॰ विजय जी,आ॰  सचिन देव जी आ॰ आशुतोष मिश्राजी , आ॰ शिज्जु जी, आप सबका आत्मीय टिप्पणी द्वारा रचना की सराहना के लिए हार्दिक आभार

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on March 27, 2014 at 2:21pm

आदरणीया कल्पना जी

बेटियों में जोश भरती , उन्हें सजग करती इस सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई, सच कहा है, जमाना बहुत खराब है।

Comment by अरुन 'अनन्त' on March 27, 2014 at 2:10pm

वाह आदरणीया वाह साधुवाद बहुत ही सशक्त ओजपूर्ण सुन्दर संदेशात्मक ग़ज़ल सभी के सभी अशआर सीधे दिल को छू गए दिल से बधाई स्वीकारें.

Comment by विजय मिश्र on March 26, 2014 at 5:00pm
यह तो एक सुंदर जागरण गीत है जो अतिसामयिक सन्देश का संचलन करता है |आदर कल्पना दीदी |
Comment by Sachin Dev on March 26, 2014 at 3:04pm

आदरणीय कल्पना जी, बेटियों को आन्दोलित करती आगे बढ़ने का आह्वान करती बेहद ओजस्वी रचना पर आपको हार्दिक बधाई ! 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 25, 2014 at 5:54pm

बहुत ही खूबसूरत रचना ..आज के सन्दर्भ में यह रचना एक मशाल की तरह है ...बेटियों को नूतन पथ प्रशस्त करती इस शानर रचना के लिए तहे दिल बधाई सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service