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सीख लो अधिकार पाना, बेटियों आगे बढ़ो।
स्वप्न पूरे कर दिखाना, बेटियों आगे बढ़ो।
चाहे मावस रात हो, जुगनू सितारे हों न हों,
ज्योत बनकर जगमगाना, बेटियों आगे बढ़ो।
सिर तुम्हारा ना झुके, अन्याय के आगे कभी,
न्याय का डंका बजाना, बेटियों आगे बढ़ो।
ज्ञान के विस्तृत फ़लक पर, करके अपने दस्तखत,
विश्व में सम्मान पाना, बेटियों आगे बढ़ो।
तुम सबल हो, बाँध लो यह बात अपनी गाँठ में,
क्यों सुनो अबला का ताना, बेटियों आगे बढ़ो।
रूढ़ियों की रीढ़ तोड़ो, बेड़ियाँ सब काट कर,
दिलजलों के बुत जलाना, बेटियों आगे बढ़ो।
भागने देखो न पाएँ, नाग जो तुमको डसें,
फन कुचल उनके दिखाना, बेटियों आगे बढ़ो।
सीख लो गुर निज सुरक्षा के सदा रहना सजग,
है बड़ा ज़ालिम ज़माना, बेटियों आगे बढ़ो।
गर्भ में ही फिर तुम्हारा, अंश ना हो अस्तमित,
'कल्पना' खुद को बचाना, बेटियों आगे बढ़ो।
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
बहुत ही खूबसूरत है रदीफ और काफिया आपने बड़ी खूबसूरती से निभाया है बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिये
आदरणीय इस सशक्त प्रेरक रचना के लिए ह्रदय से साधुवाद !!
उम्दा भाव पगी गजल रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया कल्पना रामानी जी -
बेटिया आगे बढ़ो, सबकी हो यह कामना
संबंधो का ताना बुनो, सबकी हो यह भावना |
आदरणीया कल्पना जी..
विचारों को आपके सुंदर अल्फाज़ों ने पंख लगा दिए..सभी रंग है आपकी इस खूबसूरत पेशकश में. मत्ले से मक़ते तक..बस वाह वाह वाह ..ढेरों सूभकामनाएँ
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