For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

संध्या निश्चित है ,
सूर्य अस्ताचल की ओर
है अग्रसर ..

मुझे संदेह नहीं
अपनी भिज्ञता पर
तुम्हारी विस्मरणशीलता के प्रति
फिर भी अपनी बात सुनाता हूँ.
आओ बैठो मेरे पास
जीवन गीत सुनाता हूँ.
डूबेगा व सूरज भी
जो प्रबलता से अभी
है प्रखर .

तुम भूला दोगे मुझे, कल
जैसे मैं था ही नहीं कोई.
सुख के उन्माद में मानो
आने वाली व्यथा ही नहीं कोई.
सत्य का स्वाद तीखा है,
असत्य क्षणिक है,
मैं सत्य सुनाता हूँ
भ्रम का अस्तित्व भी
सत्य की ओट लेकर
है निर्भर ..

खोकर बूंद भर पानी
सरिता कब रूकती है
जल राशि में गौण है बूंद
सरिता आगे बढ़ती है.
कुछ भी अपरिहार्य नहीं.
सत्य पर सब मौन है
मैं वही बताता हूँ
काल का चक्र कब रुका
चलता रहता
है निरंतर ..


.. नीरज कुमार नीर

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 572

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Neer on April 16, 2014 at 7:59am

हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 15, 2014 at 11:04pm

तनिक शाब्दिक तो हो गये हैं लेकिन इस सार्थक प्रयास के लिए हार्दिक बधाइयाँ.

शुभ-शुभ

Comment by Neeraj Neer on April 4, 2014 at 8:13pm

आदरणीया डॉ प्राची सिंह साहिबा .. आपको रचना अच्छी लगी यह जानकर अतीव प्रसन्नता अनुभव कर रहा हूँ.. आपके स्नेह और शुभकामनाओं के लिए आपका आभारी हूँ .. 

Comment by Neeraj Neer on April 4, 2014 at 8:12pm

आदरणीय शिज्जू शकूर जी आपका हार्दिक धन्यवाद ... आपको मेरी रचना अच्छी लगी , इससे मेरा उत्साहवर्धन हुआ .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 4, 2014 at 7:17pm

कुछ भी खो देने से जीवन नहीं रुक जाता...

और यह भी सही............ 

तुम भूला दोगे मुझे, कल 
जैसे मैं था ही नहीं कोई.
सुख के उन्माद में मानो 
आने वाली व्यथा ही नहीं कोई. 
सत्य का स्वाद तीखा है, 
असत्य क्षणिक है,
मैं सत्य सुनाता हूँ 
भ्रम का अस्तित्व भी 
सत्य की ओट लेकर 
है निर्भर ..........................वाह ! लाजवाब 

आपकी रचनाओं की अंतर्धारा प्रभावित करती है 

बहुत बहुत बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 3, 2014 at 8:32am

आदरणीय नीरज भाई आपकी अतुकांत रचनाओं का जवाब नहीं। सामान्य सी बात को आप गहनता से सार्थक संदेश के साथ प्रस्तुत करते हैं बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by Neeraj Neer on April 3, 2014 at 8:14am

भाई जितेन्द्र जी आपका आभारी हूँ.. 

Comment by Neeraj Neer on April 3, 2014 at 8:13am

आ. लक्ष्मण प्रसाद जी बहुत धन्यवाद .

Comment by Neeraj Neer on April 3, 2014 at 8:13am

हार्दिक आभार आ अरुण  श्रीवास्तव जी ..

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 2, 2014 at 9:52pm

कुछ भी अपरिहार्य नहीं.
सत्य पर सब मौन है
मैं वही बताता हूँ
काल का चक्र कब रुका
चलता रहता
है निरंतर .............बेहद गहन, हार्दिक बधाई आपको आदरणीय नीरज जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
7 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service