संध्या निश्चित है ,
सूर्य अस्ताचल की ओर
है अग्रसर ..
मुझे संदेह नहीं
अपनी भिज्ञता पर
तुम्हारी विस्मरणशीलता के प्रति
फिर भी अपनी बात सुनाता हूँ.
आओ बैठो मेरे पास
जीवन गीत सुनाता हूँ.
डूबेगा व सूरज भी
जो प्रबलता से अभी
है प्रखर .
तुम भूला दोगे मुझे, कल
जैसे मैं था ही नहीं कोई.
सुख के उन्माद में मानो
आने वाली व्यथा ही नहीं कोई.
सत्य का स्वाद तीखा है,
असत्य क्षणिक है,
मैं सत्य सुनाता हूँ
भ्रम का अस्तित्व भी
सत्य की ओट लेकर
है निर्भर ..
खोकर बूंद भर पानी
सरिता कब रूकती है
जल राशि में गौण है बूंद
सरिता आगे बढ़ती है.
कुछ भी अपरिहार्य नहीं.
सत्य पर सब मौन है
मैं वही बताता हूँ
काल का चक्र कब रुका
चलता रहता
है निरंतर ..
.. नीरज कुमार नीर
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ..
तनिक शाब्दिक तो हो गये हैं लेकिन इस सार्थक प्रयास के लिए हार्दिक बधाइयाँ.
शुभ-शुभ
आदरणीया डॉ प्राची सिंह साहिबा .. आपको रचना अच्छी लगी यह जानकर अतीव प्रसन्नता अनुभव कर रहा हूँ.. आपके स्नेह और शुभकामनाओं के लिए आपका आभारी हूँ ..
आदरणीय शिज्जू शकूर जी आपका हार्दिक धन्यवाद ... आपको मेरी रचना अच्छी लगी , इससे मेरा उत्साहवर्धन हुआ .
कुछ भी खो देने से जीवन नहीं रुक जाता...
और यह भी सही............
तुम भूला दोगे मुझे, कल
जैसे मैं था ही नहीं कोई.
सुख के उन्माद में मानो
आने वाली व्यथा ही नहीं कोई.
सत्य का स्वाद तीखा है,
असत्य क्षणिक है,
मैं सत्य सुनाता हूँ
भ्रम का अस्तित्व भी
सत्य की ओट लेकर
है निर्भर ..........................वाह ! लाजवाब
आपकी रचनाओं की अंतर्धारा प्रभावित करती है
बहुत बहुत बधाई
आदरणीय नीरज भाई आपकी अतुकांत रचनाओं का जवाब नहीं। सामान्य सी बात को आप गहनता से सार्थक संदेश के साथ प्रस्तुत करते हैं बहुत बहुत बधाई आपको
भाई जितेन्द्र जी आपका आभारी हूँ..
आ. लक्ष्मण प्रसाद जी बहुत धन्यवाद .
हार्दिक आभार आ अरुण श्रीवास्तव जी ..
कुछ भी अपरिहार्य नहीं.
सत्य पर सब मौन है
मैं वही बताता हूँ
काल का चक्र कब रुका
चलता रहता
है निरंतर .............बेहद गहन, हार्दिक बधाई आपको आदरणीय नीरज जी
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