सुगंध बनकर आ जाओ तुम
मेरे जीवन के मधुबन में
प्रेम सिंचित हरी वसुंधरा
पल पल में जीवन महकाओ
परितप्त ह्रदय के मरुतल पर
मेघा दल बन कर छा जाओ
बस जाओ न प्रतिबिम्ब बनकर
मेरे जीवन के दर्पण में.
सुगंध बनकर आ जाओ तुम
मेरे जीवन के मधुबन में ..
तुझ से ही है मेरा होना
तुझ से मिलकर हँसना रोना
तुम चन्दा , मैं टिम टिम तारा
अर्पण तुझ पर जीवन सारा
तुझ से दूर रहूँ मैं कैसे
आसक्त बंधा हूँ बंधन में
सुगंध बनकर आ जाओ तुम
मेरे जीवन के मधुबन में ...
प्रेम भाव की अविरल धारा
तुम दिल जीती या मैं हारा
बात बराबर दोनों ही है
तुम मेरी या मैं तुम्हारा
एक ख्वाब बन कर बसी रहो
तुम मेरे दोनों नयनन में
सुगंध बनकर आ जाओ तुम
मेरे जीवन के मधुबन में ..
नीरज कुमार नीर
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आपका हार्दिक आभार आदरणीया डॉ प्राची सिंह साहिबा.. आपकी सलाह सर आँखों पर ..
सलीम राजा साहब आपका आभार..
प्रेम भाव को समर्पित सुन्दर गीत रचा है आ० नीरज नीर जी
दुसरे और तीसरे बंद का प्रवाह बहुत सुन्दर है
तुझ से ही है मेरा होना
तुझ से मिलकर हँसना रोना
तुम चन्दा , मैं टिम टिम तारा
अर्पण तुझ पर जीवन सारा
तुझ से दूर रहूँ मैं कैसे
आसक्त बंधा हूँ बंधन में..................वाह
उस दृष्टी से प्रथम बंद और मुख्य पंक्तियाँ थोड़ा सा और प्रयत्न मांगती हैं
बनकर सुगंध तुम आ जाओ................यदि ऐसे करें तो ?
मेरे जीवन के मधुबन में
इस स्वप्न पगे सुन्दर गीत के लिए हार्दिक बधाई
सुन्दर गीत के लिये बधाई
जितेन्द्र गीत भाई साहब बहुत बहुत धन्यवाद .
आ. गिरिराज भंडारी साहब आपका आभार.
हार्दिक आभार आदरणीया अन्नपूर्ण बाजपाई जी .
तुझ से ही है मेरा होना
तुझ से मिलकर हँसना रोना
तुम चन्दा , मैं टिम टिम तारा
अर्पण तुझ पर जीवन सारा
तुझ से दूर रहूँ मैं कैसे
आसक्त बंधा हूँ बंधन में
सुगंध बनकर आ जाओ तुम
मेरे जीवन के मधुबन में.................बहुत सुंदर. मन को छू जाते भाव, हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय नीरज जी
आदरणीय नीरज भाई , सुन्दर प्रेम गीत के लिये बधाइयाँ !!
आ0 नीरज कुमार जी सुंदर गीत , बधाई स्वीकारें ।
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