For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहे (प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा )

गुणीजनों की शान में, हाज़िर दोहे पाँच
मिले ज्ञान जो छंद का, कभी न आए आँच

करें ब्रह्म का ध्यान हम, पीटें नहीं लकीर
भेदभाव सब छोड़ दें, रंग-जाति तकदीर

सबसे पहले हम जगें, जागे फिर संसार
करें कर्म अपने सभी, सुमिरें पवन कुमार

मज़ा सवाया और है, मज़ा अढ़ाई और
मज़ा मिले तब आम का, घने लगे जब बौर

कन्या पूजन वे करें, राखें उनकी लाज
होती अम्बे की कृपा, बनते सारे काज

वाणी कबिरा की भली, प्रेम राह जग जोत
ग्रंथ किनारे धर भजे, ज्ञानवान वह होत


प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
मौलिक /अप्रकाशित
१९.०४.२०१४

Views: 989

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on April 20, 2014 at 11:13am

आदरणीय प्रदीप जी, यह मंच भी साहित्य के  प्रति आपकी संलग्नता को समझता है. इतनी अस्वस्थता और ग्लूकोमा से ग्रसित होने के बावजूद मोबाइल के माध्यम से नेट का प्रयोग करते हुए आप जिस तरह से मंच को समय देते हैं, ओबीओ लखनऊ चैप्टर के कार्यक्रमों में अपनी सक्रियता बनाए रखते हैं, वह प्रशंसनीय है.

छंद सीखने का आपका निर्णय उचित और स्वागत योग्य है. छंद अपनी विशेषताओं के साथ ही छंदमुक्त लिखने में भी सहायक होते हैं. ये समय के साथ आप स्वयं महसूस करेंगे.

इस मंच के सुधीजन छंद की दुनिया में आपकी यात्रा के मार्ग को प्रशस्त करने में सहायक होंगे, यही आशा है.

इस प्रयास पर आपको एक बार पुनः हार्दिक बधाई! 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 20, 2014 at 11:06am

स्नेही जीत जी, 

सादर 

आज कल आप बहुत बढ़िया लिख रहे हैं. 

लिखते रहिये. 

मेरा आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 20, 2014 at 11:04am

स्नेही वेदिका 

सादर 

विचार ही तों हैं मेरे पास तकनीक नही 

और आप जानती हैं सम्मान किसे मिलता है  

खुश रहिये खूब लिखते रहिये 

जय हो मंगलमय हो 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 20, 2014 at 11:02am

आदरणीय श्री भंडारी जी 

सादर आभार प्रोत्साहन हेतु 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 20, 2014 at 11:01am

आदरणीय श्री ब्रजेश नीरज  जी 

सादर 

प्रोत्साहन हेतु सादर आभार. 

ओ बी ओ के गुरुजनों , मित्रों का योगदान मंच पर रोके है. 

अब सीखने  का प्रयास करूँगा. 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 20, 2014 at 10:58am

आदरणीया कुन्ती दी, 

सादर 

प्रोत्साहन हेतु आभार 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 20, 2014 at 12:15am

वाह! बहुत सुंदर दोहावली, एक से बढ़कर एक दोहा

मज़ा सवाया और है, मज़ा अढ़ाई और
मज़ा मिले तब आम का, घने लगे जब बौर.............हार्दिक बधाई आपको आदरणीय प्रदीप जी

Comment by वेदिका on April 19, 2014 at 11:44pm
सुविचार दोहे कहे आपने आदरणीय चाचाजी
शुभकामनाएं स्वीकारिये

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 19, 2014 at 8:31pm

आदरनीय प्रदीप भाई , सुन्दर दोहावली के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ !!

Comment by बृजेश नीरज on April 19, 2014 at 8:07pm

बहुत सुन्दर दोहे! आदरणीय प्रदीप जी, आपको बहुत-बहुत बधाई!

छंद की दुनिया में आपका हार्दिक स्वागत है!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। यह गजल भी बहुत सुंदर हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"आदरणीय नीलेश भाई,  आपकी इस प्रस्तुति के भी शेर अत्यंत प्रभावी बन पड़े हैं. हार्दिक बधाइयाँ…"
18 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"साथियों से मिले सुझावों के मद्दे-नज़र ग़ज़ल में परिवर्तन किया है। कृपया देखिएगा।  बड़े अनोखे…"
18 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. अजय जी ...जिस्म और रूह के सम्बन्ध में रूह को किसलिए तैयार किया जाता है यह ज़रा सा फ़लसफ़ा…"
18 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"मुशायरे की ही भाँति अच्छी ग़ज़ल हुई है भाई नीलेश जी। मतला बहुत अच्छा लगा। अन्य शेर भी शानदार हुए…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post उस मुसाफिर के पाँव मत बाँधो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद और बधाइयाँ.  वैसे, कुछ मिसरों को लेकर…"
19 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"हार्दिक आभार आदरणीय रवि शुक्ला जी। आपकी और नीलेश जी की बातों का संज्ञान लेकर ग़ज़ल में सुधार का…"
19 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"ग़ज़ल पर आने और अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए आभार भाई नीलेश जी"
19 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"अपने प्रेरक शब्दों से उत्साहवर्धन करने के लिए आभार आदरणीय सौरभ जी। आप ने न केवल समालोचनात्मक…"
19 hours ago
Jaihind Raipuri is now a member of Open Books Online
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post ठहरा यह जीवन
"आदरणीय अशोक भाईजी,आपकी गीत-प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाइयाँ  एक एकाकी-जीवन का बहुत ही मार्मिक…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. रवि जी "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service