अश्क आँखों में …
अश्क आँखों में हमारी ......हैं निशानी आपकी
जान ले ले न हमारी .......ये बेज़ुबानी आपकी
आपकी खामोशियों का ......शोर अब होने लगा
हो न जाए आम ये .....दिल की कहानी आपकी
लाख चाहा अब न देखें ...आपके ख़्वाबों को हम
क्या करें कम्बख़्त नीदें भी ...हैं दिवानी आपकी
आप मुज़मिर हैं हमारी ...रातों की तन्हाईयों में
बिस्तर की सलवटों में हैं ...यादें सुहानी आपकी
जीने के वास्ते जिस्म से ..सांसें ज़ेहद करती रही
क्यों परेशां रुखसत से है आखिर पेशानी आपकी
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय लक्ष्मण जी आपकी स्नेहाशीष का हार्दिक आभार
स्नेह बरसाती उम्दा गजल के लिए बधाई
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