For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जन का जन पर जनता-राज (चौपई छंद) // -सौरभ

चौपई छंद - प्रति चरण 15 मात्रायें चरणान्त गुरु-लघु
====================================
किसी राष्ट्र के पहलू चार । जनता-सीमा-तंत्र-विचार ॥
जन की आशा जन-आवाज । जन का जन पर जनता-राज ॥

प्रजातंत्र वो मानक मंत्र । शोषित आम जनों का तंत्र ॥
किन्तु सजग है आखिर कौन ? जाहिल मछली, बगुले मौन !!

सत्ता हुई ठगी का काम । सभी रखें शतरंजी नाम ॥
बोल-बचन में माहिर चंट । तलवे चाटें, कभी फिरंट ॥                       [चंट - धूर्त, फिरंट - क्रुद्ध]

लाल रंग कर रहा अनाथ । कमल घड़ी गज झाड़ू हाथ ॥
ढंग-ढंग के चिह्न तमाम । छुरी बगल में, मुख में राम !!

ओढ़ मुखौटे करते खेल । लिये चमेली वाला तेल ॥
दिया नारियल बंदर हाथ । जनता भावुक, शातिर नाथ ॥
*********
-सौरभ
*********
(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 839

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 1, 2014 at 1:28pm

आदरणीय अखिलेश भाईजी,

राष्ट्र की परिभाषा को सस्वर करने के साथ यह प्रस्तुति वस्तुतः आजके राजनैतिक माहौल की घिनौनी विसंगतियों को साझा करने का प्रयास कर रही है. आपको इस प्रयास में तथ्य और तार्किकता दिखी है तो मैं रचनाकार के तौर पर बड़भागी हुआ.

आपने जिन पंक्तियो को उद्धृत किया है वे अन्योक्ति और वक्रोक्ति के उदाहरण के तौर ही हैं.

आपकी पाठकीय संवेदना के प्रति सादर आभार.

इस छन्द पर आपके मोडिफाइड पोस्ट की प्रतीक्षा रहेगी.
सादर

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on May 1, 2014 at 12:59pm

आदरणीय सौरभ भाईजी

किसी राष्ट्र के पहलू चार । जनता-सीमा-तंत्र-विचार ॥.....  सही कहा आपने 

ढंग-ढंग के चिह्न तमाम । छुरी बगल में, मुख में राम !!
ओढ़ मुखौटे करते खेल । लिये चमेली वाला तेल ॥ 
दिया नारियल बंदर हाथ । जनता भावुक, शातिर नाथ ॥ 

तीनों पंक्तियाँ बहुत कुछ कह रही है, व्यंग्य भी है 

हार्दिक बधाई

चौपई छंद पर मैंने भी प्रयास किया था  लेकिन बात बनी नहीं ( मज़ा नहीं आया) इसलिए पोस्ट नहीं किया, आपकी चौपई पढ़कर मैंने यथा संभव संशोधन कर लिया है और आज चुनावी चौपई पोस्ट कर रहा हूँ 

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 1, 2014 at 11:21am

यह प्रयास अच्छा लगा, इसके लिए आभार.

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 1, 2014 at 8:08am

आदरणीय सौरभ जी 

प्रस्तुति का एक एक शब्द आज के राजनैतिक माहौल का आईना बन कर प्रस्तुत हुआ है 

कथ्य, शब्द संयोजन, शिल्प, कथ्य विन्यास ....सभी तरह से एक संतुलित और सुन्दर प्रस्तुति 

हार्दिक बधाई 

सादर. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 28, 2014 at 10:45pm

प्रस्तुति पर टिप्पणी के लिए सभी सुधी पाठकॊं और आत्मीयजनों को मेरा सादर आभार..   रचना का छन्द चौपाई न हो कर चौपई है जोकि इस बार के छंदोत्सव का छन्द था. 

सादर

Comment by Vindu Babu on April 26, 2014 at 11:03pm

आदरणीय सौरभ सर:

सामयिक परिवेश का बखान करती हुई बेजोड़ रचना हुई है।

शब्दावली भी प्रभावी और शिल्प के साथ कथ्य भी।

फिरंट नया शब्द मिला,धन्यवाद आपको इसके लिए।

और हार्दिक बधाई भी आदरणीय।

सादर

Comment by Satyanarayan Singh on April 26, 2014 at 9:34pm

इन सुन्दर सामयिक प्रभावशाली चौपाइयों के माध्यम से वर्तमान परिस्थिति पर करार व्यंग कसा है आदरणीय बधाई कबूल करें

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 26, 2014 at 2:25pm

आदरणीय सौरभ सर ..आपकी रचनाओं के माध्यम से नाना प्रकार के हिंदी छंदों की जानकारी सतत मिलती है ..वर्तमान परिद्रिस्य का बखूबी चित्रण करती रचना ..छंद में बंधी होने के कारन गुनगुनाने में भी बहुत आनंद आता है .आपकी रचनाधर्मिता को सादर नमन करते हुए ...

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 25, 2014 at 11:54am

प्रभावशाली चौपाईयों द्वारा जबरदस्त व्यंग्य। बधाई स्वीकार करें सौरभ जी।

Comment by MAHIMA SHREE on April 24, 2014 at 10:09pm

वाह बहुत ही सुंदर समसामयिक छंद बहुत -२ हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय सौरभ सर सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार अच्छी घनाक्षरी रची है. गेयता के लिए अभी और…"
14 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करती सुन्दर प्रस्तुतियाँ हैं…"
14 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   दिखती  न  थाह  कहीं, राह  कहीं  और  कोई,…"
15 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी,  रचना की प्रशंसा  के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार|"
15 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी,  घनाक्षरी के विधान  एवं चित्र के अनुरूप हैं चारों पंक्तियाँ| …"
15 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी //नदियों का भिन्न रंग, बहने का भिन्न ढंग, एक शांत एक तेज, दोनों में खो…"
17 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मैं प्रथम तू बाद में,वाद और विवाद में,क्या धरा कुछ  सोचिए,मीन मेख भाव में धार जल की शांत है,या…"
18 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्रोक्त भाव सहित मनहरण घनाक्षरी छंद प्रिय की मनुहार थी, धरा ने श्रृंगार किया, उतरा मधुमास जो,…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++ कुंभ उनको जाना है, पुन्य जिनको पाना है, लाखों पहुँचे प्रयाग,…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक , पोस्ट कुछ देर बाद  स्वतः  डिलीट क्यों हो रहा है |"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . जीत - हार

दोहा सप्तक. . . जीत -हार माना जीवन को नहीं, अच्छी लगती हार । संग जीत के हार से, जीवन का शृंगार…See More
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में आपका हार्दिक स्वागत है "
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service