For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुहब्बतों की ज़मीन पर ....

मुहब्बतों की ज़मीन पर ....

वो जागती होगी
यही सोच हम तमाम शब सोये नहीं
चुरा न ले सबा नमीं कहीं
हम एक पल को भी रोये नहीं
वो रुख़्सत के लम्हात,वो अधूरे से जज़्बात
बंद पलकों की कफ़स में कैद वो बेबाक से ख्वाब
क्या वो सब झूठ था
क्यों पल पल के वादे हकीकत की धूप में
हरे होने से पहले ही बेदम हो कर झरने लगे
अटूट बंधन के समीकरण बदलने लगे
खबर न थी कि हमारी खुद्दारी
हमें इस मकाम तक ले आएगी
इज़हार और इकरार की तकरार में मुहब्बत
कच्ची मिट्टी सी हार जाएगी
हमारी ही खुद्दारी हमारी ज़बीं पे अलम तराश जाएगी
अज़ल के लिबास में हर ख़्वाहिश दम तोड़ जाएगी
मुहब्बत के ताबूत पे वक्त की सुई
खुद्दारी का हश्र लिख जाएगी
हाथों में तड़पते लम्स को बिछुड़ी हयात का दर्द समझा जाएगी
मुहब्बतों की ज़मीन पर खुद्दारी अपने अहं से कतरायेगी

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 522

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Satyanarayan Singh on May 23, 2014 at 5:18pm

सुन्दर और भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु बहुत बहुत बधाई आदरणीय 

हमें इस मकाम तक ले आएगी 
इज़हार और इकरार की तकरार में मुहब्बत 
कच्ची मिट्टी सी हार जाएगी ................................अति सुन्दर 

Comment by Sushil Sarna on May 15, 2014 at 4:22pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय  जी रचना पर आपके स्नेहिल उद्गारों ने रचना को नया आयाम प्रदान  है।  आपकी इस  प्रशंसा का  हार्दिक आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 15, 2014 at 1:07am

दिलकश अंदाज़ में अपनी बातों को साझा कने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशीलजी..

सादर

 

Comment by Sushil Sarna on May 4, 2014 at 2:29pm

आदरणीय मुकेश वर्मा जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया   का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on May 4, 2014 at 2:28pm

आदरणीयलक्ष्मण धामी जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया   का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on May 4, 2014 at 2:27pm

आदरणीया जितेन्द्र गीत जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया   का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on May 4, 2014 at 2:26pm

आदरणीया गिरिराज भंडारी जी   रचना पर आपकी मधुर प्रशंसा   का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on May 4, 2014 at 2:25pm

आदरणीया कुंती मुख़र्जी  रचना पर आपकी मधुर प्रशंसा   का हार्दिक आभार। 

Comment by Mukesh Verma "Chiragh" on May 3, 2014 at 11:48am
बहुत बढ़िया आदरणीय
अच्छा लगा पढ़कर..
Comment by Mukesh Verma "Chiragh" on May 3, 2014 at 11:48am
बहुत बढ़िया आदरणीय
अच्छा लगा पढ़कर..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service