1
जारी है कवायद
शब्दों को रफ़ू करने की
बुलाये गए हैं
शब्दों के खिलाड़ी
शब्द
काटे जोड़े और
मिलाये जा रहे हैं
रचे और रंगे जा रहे हैं
शब्दों का सौंदर्यीकरण जारी है
2
शब्द
कभी चाशनी में
घोले जा रहे हैं
तो कभी छौंके जा रहे हैं
कढ़ाई में
फिर जारी है खिलवाड़
हमारे सपनों का
3
भाँपा जा रहा है मिजाज़
हर शख्स का
अचानक बढ़ गई है कीमत
जिंदा लाशों की
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
अति सुन्दर क्षणिकायें हार्दिक बधाई आ. नादिर खान जी
बहुत बहुत सुन्दर .. बधाई
तीनों क्षणिकायें न केवल प्रभावशाली हैं बल्कि अनुकरणीय भी हैं. आपकी इस प्रस्तुति की मैं हृदय से सम्मान करता हूँ.
हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाइयाँ, भाई,,.
क्या कहने हैं नादिर खान साहब, काश वे समझ पाते शब्दों की गरिमा को....
आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी आदरणीय गिरिराज जी एवं आदरणीय श्याम नारायण जी आप सभी का बहुत शुक्रिया ।
सुन्दर क्षनिकाए चुनावी मौसम में | वाह ! -
शब्द बाण के तीर से आहत,
आयोग में कर रहे शिकायत
आंचार सहिता की तलवार
लगता है भोंटी हो गयी धार | - लक्ष्मण
आदरनीय नादिर खान भाई , तीनो क्षणिकायें , बहुत सामयिक और बहुत सटीक रचे हैं आपने , आपको मेरी दिली बधाइयाँ ॥
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई................. |
अदरणीय शिज्जु जी,आदरणीया अन्नपूर्णा जी, हौसला अफजाई का बहुत शुक्रिया....
यही दुर्भाग्य है देखने समझने की शक्ति होने के बावजूद हम अक्सर अपनी आँखों से नहीं बल्कि किसी और की आँखों से देखते हैं बहुत खूबसूरत क्षणिकायें आदरणीय नादिर भाई बहुत बहुत बधाई आपको
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