For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विश्वासों की बढती डोर- लक्ष्मण लडीवाला

जयकारी/चोपई छंद (१५ मात्राओं के इस छंद में चरणान्त गुरु लघु से)

राष्ट्र सृजन में जिनका योग, उनको कहे पुरोधा लोग

जनता का मिलता सहयोग, खुशहाली का होता योग |

कानूनन जन हित का भान, सफल प्रशासक उसको मान

योग्य प्रशासक का सम्मान, तभी देश का हो उत्थान ||

 

जड़ चेतन का जिसको भान, उसमे ही आध्यात्मिक ज्ञान

परम पिता ने डाले प्राण, इसके मिलते बहुत प्रमाण |

जिसमे हो सेवा का भाव, मन में वह रखता सद्भाव

जिसमे भी जिज्ञासा जान, गुरुवर का वह करता मान ||

 

नदी के जब मिले दो छोर, विश्वासों की बढती डोर 

प्राची में जब होती भोर, मन की बगिया भरे हिलोर |

श्रमिक नीव का पत्थर मान, तभी देश को हो उत्थान

सैनिक का जब हो सम्मान. देश सुरक्षित तब ही मान ||

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 613

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 20, 2014 at 10:57am

छंद पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीय श्री सौरभ भाई जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 20, 2014 at 3:32am

चौपई छन्द पर बहुत ही संयत रचना हुई है, आदरणीय. बहुत-बहुत बधाई !

आदरणीय अखिलेशजी ने शब्द-संयोजन पर सार्थक बात कही है.

सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 5, 2014 at 9:23am

रचना को मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री अरुण कुमार निगम जी -

जोड़े दोनो कर कर विलग, हम आपसे है नहीं विलग  

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 5, 2014 at 9:17am

आपका हार्दिक आभार श्री केवल प्रसाद जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on May 4, 2014 at 9:23pm

जीवन का लिख दिया निचोड़, हम हतप्रभ अपने कर जोड़ ..................बधाई....................

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 4, 2014 at 12:40pm

रचना सराहकर उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीया कुंती मुकर्जी | सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 4, 2014 at 12:39pm

रचना पसंद कर सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री शिज्जू शकूर भाई, श्री अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी, और श्री गिरिराज भंडारी जी, प्रवाह हेतु आपका शुझाव मान्य भाई श्री गिरिराज जी 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 4, 2014 at 11:54am

आ0 लक्ष्मण सरजी, वाह! बहुत सुन्दर छन्द। हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,

Comment by coontee mukerji on May 4, 2014 at 12:23am

नदी के जब मिले दो छोर, विश्वासों की बढती डोर 

प्राची में जब होती भोर, मन की बगिया भरे हिलोर |

श्रमिक नीव का पत्थर मान, तभी देश को हो उत्थान

सैनिक का जब हो सम्मान. देश सुरक्षित तब ही मान ||.....सत्य वचन.आपको साधुवाद...लक्ष्मण जी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 3, 2014 at 7:42pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , सुन्दर चौपाई छंद रचना के लिये बधाई , आदरनीय अखिलेश भाई जी की सलाह पर ज़रूर ध्यान दीजियेगा ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा पंचक - राम नाम
"वाह  आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही सुन्दर और सार्थक दोहों का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई…"
10 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
19 hours ago
दिनेश कुमार posted a blog post

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार ( गीत )

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार( सुधार और इस्लाह की गुज़ारिश के साथ, सुधिजनों के…See More
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा पंचक - राम नाम

तनमन कुन्दन कर रही, राम नाम की आँच।बिना राम  के  नाम  के,  कुन्दन-हीरा  काँच।१।*तपते दुख की  धूप …See More
19 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, हार्दिक धन्यवाद  आभार आपका "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service