माली ऐसा चाहिए, किसलय को दे प्यार
खरपतवारहि छांटके, कलियन देहि निखार.
नित उठ देखे बाग़ को, नैना रहे निहार
सिंचन, खुरपी चाहिए, मन में करे विचार
हवा ताजी तन में लगे, करे भ्रमर गुंजार,
दिल में यूं खुशियाँ भरे, होवे जग से प्यार
कर्म सबहि तो करत हैं, गर न करे प्रचार
लोग न जानहि पात हैं, जाने बस करतार
दीपक ऐसा चाहिए, घर में करे प्रकाश
तन मन जारे आपनो, किन्तु नेह की आश.
उजियारा लेते रहें, बुझने न दें ज्योति
समय समय पर तेल दें, कभी उभारें बाति
(मौलिक व अप्रकाशित)
जवाहर लाल सिंह
Comment
आदरणीय श्री शिज्जू शकूर जी, सादर अभिवादन!
मात्रा दोष निकालने के लिए धन्यवाद और आभार
पवन सुघर तन में लगे, भ्रमर करे गुंजार ... कैसा रहेगा ?
आदरणीय जवाहर लाल जी अच्छे दोहे हैं
/हवा ताजी तन में लगे/ बस यहाँ 14 मात्रायें हो रहीं हैं
आदरणीया श्रीमती कुंती महोदया, सादर अभिवादन!
प्रोत्साहन हेतु आपका अतिशय आभार!
आदरणीय श्री नादिर खान साहब, सादर अभिवादन!
प्रोत्साहन हेतु आपका अतिशय आभार!
आदरणीय श्री कुशवाहा जी, सादर अभिवादन!
प्रोत्साहन हेतु आपका अतिशय आभार!
आदरणीय श्री श्याम नारायण वर्मा जी, आपका हार्दिक आभार!
उजियारा लेते रहें, बुझने न दें ज्योति
समय समय पर तेल दें, कभी उभारें बाति.....बहुत सुंदर बात.बहुत बहुत बधाई.
हवा ताजी तन में लगे, करे भ्रमर गुंजार,
दिल में यूं खुशियाँ भरे, होवे जग से प्यार
उजियारा लेते रहें, बुझने न दें ज्योति
समय समय पर तेल दें, कभी उभारें बाति..
आदरणीय जवाहर जी सुंदर दोहे कहे आपने नेक नसीहत भी दी ... बहुत खूब
माली ऐसा चाहिए, किसलय को दे प्यार
खरपतवारहि छांटके, कलियन देहि निखार.
नित उठ देखे बाग़ को, नैना रहे निहार
सिंचन, खुरपी चाहिए, मन में करे विचार
हवा ताजी तन में लगे, करे भ्रमर गुंजार,
दिल में यूं खुशियाँ भरे, होवे जग से प्यार
कर्म सबहि तो करत हैं, गर न करे प्रचार
लोग न जानहि पात हैं, जाने बस करतार
सारे के सारे बढ़िया
सादर बधाई
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई................ |
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