** मेरे लिए आज मातृ दिवस और माँ की पुण्य तिथि का अद्भुत संयोग है l यह रचना माँ को समर्पित है l
जिंदगीभर कौन देता है खुशी माँ के सिवा
ले अॅधेरा कौन देता रौशनी माँ के सिवा
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वह लहू को कर सुधा हमको हमेशा पोषती
कौन खुद को यूँ गला दे जिंदगी माँ के सिवा
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बस रहे खुशहाल जग ये सोचकर भगवान भी
क्या बनाता और अच्छा इक नबी माँ के सिवा
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दे के रिमझिम जिंदगी भर वो तपन हरती रहे
कौन अपनाता बता दे तिश्नगी माँ के सिवा
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माँ न मिलती है दुबारा बेदखल घर से न कर
आ मिलेंगे फिर भले ही यूँ सभी माँ के सिवा
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2122 2122 2122 212
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मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
आदरणीय मीणा बहन प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार .
आदरणीय भाई शिज्जु जी , ग़ज़ल आपको पसंद आई हार्दिक आभार .
आदरणीय भाई जीतेन्द्र जी , ग़ज़ल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद .
माँ को सादर नमन
आदरणीय लक्ष्मण जी माँ को समर्पित ग़ज़ल के लिये बहुत बहुत बधाई आपको
दे के रिमझिम जिंदगी भर वो तपन हरती रहे
कौन अपनाता बता दे तिश्नगी माँ के सिवा..............बहुत सुंदर, दिल को छू जाते भाव
माँ न मिलती है दुबारा बेदखल घर से न कर
आ मिलेंगे फिर भले ही यूँ सभी माँ के सिवा...........सच कहा आपने
बहुत सुंदर भावपूर्ण गजल, बधाई स्वीकारें आदरणीय लक्ष्मण जी
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