जब सूरज डूब जायेगा
सब कुछ समा जाएगा
महासागर की अतल गहराइयों में.
पर्वत का तुंग शिखर भी
नहीं बचेगा तृण मात्र
हड्डियों तक का नहीं रहेगा अस्तित्व.
जीवित रहेंगे फिर भी
खारे पानी के जीव ..
...............
नीरज कुमार नीर
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
छोटी प्यारी सुन्दर रचना बड़ी बात कह दिखा गयी
भ्रमर ५
सच! कितना कुछ कह देती है आपकी रचना, बधाई आपको आदरणीय नीरज जी
आदरणीय अरुण भाई हार्दिक धन्यवाद आपका..
बहुत बहुत आभार आदरणीय लडिवाल साहब .. आपकी विस्तृत टिप्पणी से हौसलाफजाई हुई है.. स्नेह बनाये रखे,
आदरणीय नीरज भाई जी बहुत ही सार्थक रचना बहुत ही सटीक बयानी हुई है बधाई स्वीकारें.
श्रष्टि की रचना हुई है प्रभु द्वारा तो कहते है समुद्र में कमल पुष्प पर देवी आगमन हुआ | जब अवसायन की कल्पना की
जावे तो उसी अनुरूप केवल खारे पानी का सामुद्रिक जल में विचरण करते जीव ही रह पायेंगे | या हम यूँ कहे कि अच्छाई
की समाप्ति पर बुराई मात्र रह जाने पर पुनः प्रभु द्वारा उद्भव की प्रक्रिया दोहराई जायेगी | विचार मंथन के लिए आपकी
रचना बहुत अर्थ पूर्ण लगी जिसके लिए आपको हार्दिक बधाई |
आदरणीया कुंती मुख़र्जी साहिबा बहुत बहुत धन्यवाद आपका .. आपको कविता अच्छी लगी तो कविता जरूर अच्छी ही होगी ..
आदरणीय शिज्जू शकूर साहब ... आपका हार्दिक धन्यवाद व्यक्त करता हूँ ..
आदरणीया डॉ प्राची सिंह साहिबा .. आपको कविता अच्छी लगी रचना धन्य हुई... आपके विस्तृत कमेन्ट के लिए ह्रदय तल से आभार ..
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी आपका धन्यवाद..
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