सोलह की महिमा में सोलह पंक्तियाँ ...............
सोलह -सोलह लिये गोटियाँ,खेल चुके शतरंजी चाल
सोलह - मई बताने वाली ,किसने कैसा किया कमाल
सोलह कला सुसज्जित कान्हा ने छेड़ी बंसी की तान
सबका जीवन सफल बनाने,सिखलाया गीता का ज्ञान
मानव जीवन में पावनता , मर्यादा के हैं आधार
ऋषियों मुनियों के बतलाये, जीवन में सोलह संस्कार
सोलह - सोमवार व्रत करके , पाओ मनचाहा भरतार
सोलह आने जब मिल जाते, तब लेता रुपिया आकार
उम्र शुरू हो सोलह की तो , आता अपने आप निखार
बीत गई तब जीवन भर के , साथी हैं सोलह श्रृंगार
सोलह चंद्र - कलायें होतीं, तब दुल्हन सी सजती रात
बरगद - पीपल हरदम कहते, सोलह आने सच्ची बात
सोलह - सोलह मात्राओं की, चौपाई मन खूब सुहाय
सोलह – सोलह वर्णों वाली,रूप – घनाक्षरी मन भाय
सोलह की महिमा को गाये,दुर्ग-नगर का अरुण कुमार
छंद आपके मन भाया तो, प्रकट कीजिये मित्र विचार ||
मौलिक/अप्रकाशित
Comment
अहा! अहा! बहुत खूब आदरणीय अरुण जी
सोलह का सोलह शृंगार सजा महिमा गान बहुत पसंद आया...
हृदय से बधाई
सुंदर भाव लिए, उत्तम रचना के लिए बधाई .... |
वाह वाह गुरुदेव जय हो
सोलह ने तब भी लूट लिया सोलह का अभी इंतज़ार
सोलह पंक्तियाँ ही आपकी छेड़ गई हैं मन के तार ||
आदरणीय अरुण जी
बहुत अच्छा लिखा है आपने..सब एक से बढ़कर एक..
सोलह - सोलह मात्राओं की, चौपाई मन खूब सुहाय सोलह – सोलह वर्णों वाली,रूप – घनाक्षरी मन भाय
सोलह की महिमा को गाये,दुर्ग-नगर का अरुण कुमार छंद आपके मन भाया तो, प्रकट कीजिये मित्र विचार ||
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