For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किसी मासूम की बेचारगी आवाज़ देती है

किसी मासूम की बेचारगी आवाज़ देती है

मुझे मजबूर होटों की हँसी आवाज़ देती है

 

कोई हंगामा कर डाले न मेरी लफ्ज़े-ख़ामोशी

मेरी बहनों की मुझको बेबसी आवाज़ देती है

 

तुम्हारे वास्ते वो रेत का ज़रिया सही, लेकिन

कभी जाकर सुनो, कैसी नदी आवाज़ देती है

 

मेरे हमराह चलकर ग़म के सहरा में तू क्यों तड़पे

तुझे ऐ ज़िन्दगी, तेरी ख़ुशी आवाज़ देती है

 

मैंने क़िस्मत बना डाली है अपनी बदनसीबी को

मगर, तुमको तुम्हारी ज़िन्दगी आवाज़ देती है

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 620

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on May 19, 2014 at 6:14pm

बड़ी खूबसूरत ग़ज़ल कही है सुशील जी। हर शे’र शानदार है। दिली दाद कुबूल कीजिए।

Comment by Madan Mohan saxena on May 19, 2014 at 4:52pm

सुन्दर ..

Comment by Shyam Narain Verma on May 19, 2014 at 3:55pm
अच्छी प्रस्तुति आदरणीय ,बधाई .........
Comment by Ram Awadh VIshwakarma on May 19, 2014 at 2:55pm

dqN  yksx  ekurs  gh  ugha  lafo/kku  vc]

[krjs  es  iM+ xbZ gS  dcwrj dh tku  vcA

 

taxy  dh  jktuhfr  esa  iaNh HkVd  x;s]

daBh  igu  ds  cu x;s cxqys egku  vcA

 

Nrjh le> jgs Fks ftls lj  is vkt  rd ]

cjlk  jgk  gS fctfy;k¡ oks vkleku  vcA

 

djus yxs gSa efUnjks vkS efLtn is ge cgl]

vkys  esa  j[k  ds  nksLrks  xhrk dqjku vcA

 

viuh  xyh  esa  bl rjg foLQksV gks x;k ]

fgyus  yxs  gSa  uho  ls iDds edku vcA

 

lw[ks  dk  jksx yx  x;k ihiy ds isM+ esa]

gS  jkt  oS|  is  ugha  dksbZ  funku vcA

 

Mj  gS  dgha fd nksLrks QV tk; u pknj ]

vkil  esa  gks jgh gS cgqr [khp&rku vcA

 

 

 

 

 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 19, 2014 at 10:41am

कोई हंगामा कर डाले न मेरी लफ्ज़े-ख़ामोशी

मेरी बहनों की मुझको बेबसी आवाज़ देती है...क्या कशिश है

 

तुम्हारे वास्ते वो रेत का ज़रिया सही, लेकिन

कभी जाकर सुनो, कैसी नदी आवाज़ देती है........गजब की रूमनिय्त भरा ख़याल है

बहुत बहुत बधाई आदरणीय सुनील भाई

Comment by Meena Pathak on May 19, 2014 at 8:09am

बहुत बहुत सुन्दर .. सादर बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
12 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service