For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किसी की अधखिली अल्हड़ जवानी याद आती है

किसी की अधखिली अल्हड़ जवानी याद आती है

मुझे उस दौर की इक-इक कहानी याद आती है

 

जिसे मैं टुकड़ा-टुकड़ा करके दरिया में बहा आया   

लहू से लिक्खी वो चिठ्ठी पुरानी याद आती है

 

मैं जिससे हार जाता था लगाकर रोज़ ही बाज़ी

वही कमअक्ल, पगली, इक दीवानी याद आती है

 

जो गुल बूटे बने रूमाल पे उस दस्ते नाज़ुक से

कशीदाकारी की वो इक निशानी याद आती है

 

जो गेसू से फ़िसलकर मेरे पहलू में चली आई 

वो ख़ुशबू से मोअत्तर रातरानी याद आती है

 "मौलिक व अप्रकाशित" 

Views: 659

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 26, 2014 at 2:47pm

मैं जिससे हार जाता था लगाकर रोज़ ही बाज़ी
वही कमअक्ल, पगली, इक दीवानी याद आती है
सुन्दर भाव ..प्रेम छलक पड़ा ...वो प्रेम भूलता कहाँ है
भ्रमर ५


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 23, 2014 at 9:41pm

आदरणीय , खूब सूरत ग़ज़ल कही है , बधाइयाँ ॥

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 23, 2014 at 11:12am

मैं जिससे हार जाता था लगाकर रोज़ ही बाज़ी

वही कमअक्ल, पगली, इक दीवानी याद आती है.......

क्या कशिश भरे अंदाज में जख्म कुरेद है आदरणीय सुशील भाई . बहुत बहुत हार्दिक बधाई .

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 22, 2014 at 10:00am

जिसे मैं टुकड़ा-टुकड़ा करके दरिया में बहा आया   

लहू से लिक्खी वो चिठ्ठी पुरानी याद आती है.......बहुत सुंदर, बधाई आदरणीय शुशील जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 22, 2014 at 9:55am

sundar rachna 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on May 21, 2014 at 10:19am

आदरणीय सुशील ठाकुर जी, बीते दिन, गुजरे लम्हे, मीठी स्मृतियाँ रचना का श्रृंगार कर रहे हैं, बधाई.....................


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 20, 2014 at 9:23pm

//जो गेसू से फ़िसलकर मेरे पहलू में चली आई 

वो ख़ुशबू से मोअत्तर रातरानी याद आती है//  वाह क्या कहने

Comment by coontee mukerji on May 20, 2014 at 8:12pm

जिसे मैं टुकड़ा-टुकड़ा करके दरिया में बहा आया   

लहू से लिक्खी वो चिठ्ठी पुरानी याद आती है.....बहुत सुंदर.

Comment by gumnaam pithoragarhi on May 20, 2014 at 3:54pm

waah khoob sir ji,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

Comment by Shyam Narain Verma on May 20, 2014 at 2:25pm
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई................

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"ग़ज़ल द्वेष हर दिल से मिटा कर के नतीजा देखूँ देश का हाल भला बनता है कैसा देखूँ रास्ता बीच का मजबूत…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दिनेश जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय Chetan Prakash जी आदाब। ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। मेरे …"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय नीलेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गिरह भी ख़ूब, हर शेर पे दाद क़ुबूल…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल का प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही है आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह भी ख़ूब हुई सादर"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"2122 1122 1122 22 घर से निकलूँ कहीं बाहर जो है दुनिया देखूँ वक़्त के साथ ही ख़ुद को भी मैं चलता…"
5 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी आदाब। अच्छी ग़ज़ल हुई । बधाई स्वीकार करें।"
6 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"अपने भारत के लिए मैं यही सपना देखूँ फिर इसे बनते हुए सोने की चिड़िया देखूँ मेरी हसरत है, हो हर आँख…"
6 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहता हूँ तुझसे जन्मों का नाता है ओबीओ
"गज़ब धर्म निभाया, आप ने,आदरणीय भाई लक्ष्मण सिंह मुसाफिर,  धामी जी, अनेकानेक बधाईंया !"
7 hours ago
Chetan Prakash commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"बहुत सुन्दर शास्त्रीय गीत का सृजन हुआ,  भाई,  नाथ सोनाक्ष, बधाई,  आपको, श्री  !"
7 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"मेरे  महबूब  कभी  वो  हसीं  चहरा  देखूँ   दिन भी बन जाए…"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service