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किसी मासूम की बेचारगी आवाज़ देती है

किसी मासूम की बेचारगी आवाज़ देती है

मुझे मजबूर होटों की हँसी आवाज़ देती है

 

कोई हंगामा कर डाले न मेरी लफ्ज़े-ख़ामोशी

मेरी बहनों की मुझको बेबसी आवाज़ देती है

 

तुम्हारे वास्ते वो रेत का ज़रिया सही, लेकिन

कभी जाकर सुनो, कैसी नदी आवाज़ देती है

 

मेरे हमराह चलकर ग़म के सहरा में तू क्यों तड़पे

तुझे ऐ ज़िन्दगी, तेरी ख़ुशी आवाज़ देती है

 

मैंने क़िस्मत बना डाली है अपनी बदनसीबी को

मगर, तुमको तुम्हारी ज़िन्दगी आवाज़ देती है

"मौलिक व अप्रकाशित"

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 23, 2014 at 11:41pm

तुम्हारे वास्ते वो रेत का ज़रिया सही, लेकिन

कभी जाकर सुनो, कैसी नदी आवाज़ देती है...

इस शेर ने चौंका दिया, भाईजी..  बार-बार बहुत दाद कुबूल फ़रमायें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 23, 2014 at 9:31pm

आदरणीय सुशील भाई , बहुर खूब सूरत गज़ल कही है आपकओ हार्दिक बधाइयाँ ॥ मैने को आपने 12 लिया है क्या ये सही है ?

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 23, 2014 at 5:18pm

मेरे हमराह चलकर ग़म के सहरा में तू क्यों तड़पे

तुझे ऐ ज़िन्दगी, तेरी ख़ुशी आवाज़ देती है...दूसरों को सुखी देखने का अद्भुत सन्देश ..हर शेर शानदार है मेरी तरफ से सादर बधाई सादर 

Comment by नादिर ख़ान on May 22, 2014 at 10:14pm

तुम्हारे वास्ते वो रेत का ज़रिया सही, लेकिन

कभी जाकर सुनो, कैसी नदी आवाज़ देती है...बहुत उम्दा बात कही आदरणीय सुशील जी ...बधाई ।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 22, 2014 at 9:39am

मैंने क़िस्मत बना डाली है अपनी बदनसीबी को

मगर, तुमको तुम्हारी ज़िन्दगी आवाज़ देती है............वाह! बहुत खूब,

दिली बधाई आदरणीय शुशील जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on May 21, 2014 at 10:31am

तुम्हारे वास्ते वो रेत का ज़रिया सही, लेकिन

कभी जाकर सुनो, कैसी नदी आवाज़ देती है

इस अश'आर के लिए खास तौर से दाद..............वाह !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 20, 2014 at 9:30pm

आदरणीय सुशील सर खूबसूरत अशआर से सजी ग़ज़ल के लिये दिली मुबारकबाद कुबूल करें

Comment by coontee mukerji on May 20, 2014 at 8:18pm

मेरे हमराह चलकर ग़म के सहरा में तू क्यों तड़पे

तुझे ऐ ज़िन्दगी, तेरी ख़ुशी आवाज़ देती है......बहुत सुंदर. आपको हार्दिक बधाई.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 20, 2014 at 5:45pm

तुमको तुम्हारी जिन्दगी आवाज़ देती है

बहुत खूब i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 20, 2014 at 10:03am

bahut sundar ghazal ,sabhi ashaar prabhavit karte hain dili daad kaboolen 

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