ज़रूरी क्या कि ये राहे-सफ़र हमवार हो जाये
न हों दुश्वारियाँ तो ज़िन्दगी बेकार हो जाये
आना का सर कुचलने में कभी तू देर मत करना
कहीं ऐसा न हो, दुश्मन ये भी होशियार हो जाये
फरेबो-मक्र, ख़ुदग़रज़ी न ज़ाहिर हो किसी रुख़ से
वगरना आदमी भी शहर का अख़बार हो जाये
कभी भी एक पल मैं ख़्वाब को सोने नहीं देता
न जाने किस घड़ी महबूब का दीदार हो जाये
मैं दावा-ए-महब्बत को भी अपने तर्क कर दूँगा
जो ख़्वाबों में नहीं आने को वो तैयार हो जाये
हिफ़ाज़त नीम, पीपल, आम, तुलसी की ज़रूरी है
वगरना साँस लेते ही बशर आदमी बीमार हो जाये
जवानी में सफ़र जन्नत का मिल जाये तो क्या कहना
न जाने किस परी से जाके आँखें चार हो जाये
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
कभी भी एक पल मैं ख़्वाब को सोने नहीं देता
न जाने किस घड़ी महबूब का दीदार हो जाये
सुन्दर भाव ..जी नजरें हर समय उधर ही लगी रहती हैं
भ्रमर ५
आदरणीय , लाजवाब गज़ल कही है , आपको दिली बधाइयाँ ॥ दूसरे शे र मे आप अना कहना चाहते हैं शायद ,या आना सही है ?
ज़रूरी क्या कि ये राहे-सफ़र हमवार हो जाये
न हों दुश्वारियाँ तो ज़िन्दगी बेकार हो जाये..वाह
फरेबो-मक्र, ख़ुदग़रज़ी न ज़ाहिर हो किसी रुख़ से
वगरना आदमी भी शहर का अख़बार हो जाये.............बहुत बढ़िया
कभी भी एक पल मैं ख़्वाब को सोने नहीं देता
न जाने किस घड़ी महबूब का दीदार हो जाये...दिलकश
हिफ़ाज़त नीम, पीपल, आम, तुलसी की ज़रूरी है
वगरना साँस लेते ही बशर आदमी बीमार हो जाये.......बशर आदमी ...यहा समझ में नहीं आया
आदरणीय बेहतरीन शेरो के सुसज्जित इस शानदार ग़ज़ल के लिए तहे दिल बधाई सादर
हिफ़ाज़त नीम, पीपल, आम, तुलसी की ज़रूरी है
वगरना साँस लेते ही बशर आदमी बीमार हो जाये.... क्या ग़ज़ब नसीहत भरी बात कही है बहुत बहुत बधाई
हिफ़ाज़त नीम, पीपल, आम, तुलसी की ज़रूरी है वगरना साँस लेते ही बशर आदमी बीमार हो जाये
वाह , क्या कहने..................
बहुत खूब सादर बधाई स्वीकार करें
मैं दावा-ए-महब्बत को भी अपने तर्क कर दूँगा
जो ख़्वाबों में नहीं आने को वो तैयार हो जाये......बहुत खूब. हार्दिक बधाई.
सुंदर रचना के लिए बहुत बधाई ...... सादर |
बहुत सुन्दर रचना .. बधाई
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online