For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मोह माया मत समझ संसार को - ग़ज़ल

2122    2122   212

*********************

तन  से  जादा  मन  जरूरी  प्यार को

मन  बिना  आये हो क्या व्यापार को

***

मुक्ति  का  पहला  कदम  है  यार ये

मोह  माया  मत  समझ  संसार को

***

इसमें   शामिल  और  जिम्मेदारियाँ

मत समझ मनमर्जियाँ अधिकार को

***

डूब कर  तम में  गहनतम भोर तक

तेज   करता   रौशनी  की   धार  को

***

तब कहीं  जाकर  उजाला  साँझ तक

बाँटता   है   सूर्य   इस   संसार  को

***

देह  भी  तो  है  ‘मुसाफिर’  नाव  ही

रख  सदा  मजबूत  मन पतवार को

***

रचना 15 दिसम्बर 2013

मौलिक व अप्रकाशित

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 726

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 20, 2014 at 9:38am

आ० भाई विजय निकोर जी, ग़ज़ल की प्रशंसा कर उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद

Comment by vijay nikore on June 20, 2014 at 8:04am

बहुत ही सुन्दर गज़ल के लिए बधाई, आदरणीय लक्ष्मण जी।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 19, 2014 at 12:31pm

आ० प्राची बहन , ग़ज़ल की प्रशंसा और सम्मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 19, 2014 at 11:23am

आ० लक्ष्मण धामी जी

बहुत उन्नत ज़मीन पर ये प्रस्तुति हुई है 

दिली बधाई चिंतन मनन से निस्सृत इस ग़ज़ल पर...

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 17, 2014 at 9:08am

आदरणीया कल्पना दीदी ,ग़ज़ल की प्रशंसा कर उत्साहवर्धन के लिए आभार .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 17, 2014 at 9:08am

आदरणीय भाई गुमनाम जी , ग़ज़ल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद .

Comment by कल्पना रामानी on June 16, 2014 at 8:12pm

उम्दा गज़लके लिए आपको बहुत बधाई आदरणीय धामी जी

Comment by gumnaam pithoragarhi on June 16, 2014 at 6:00pm

वाह !! बहुत खूब , सुंदर गजल हेतु  बधाई ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 16, 2014 at 9:11am

आदरणीया मंजरी जी , उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 16, 2014 at 9:10am

आदरणीया महिमा जी , ग़ज़ल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service