For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक लघु वार्ता --- डॉ ० विजय शंकर

प्रिय मित्रों ,
मैं इस सम्मानित मंच के माध्यम से आप सभी से कुछ बातें शेयर करना चाहता हूँ , आज लाइव महोत्सव का जो विषय है, ये बातें कहीं न कहीं उस से जुडी हुई हैं . थोड़ा देखें दुनिया में और लोगों का नज़रिया उन बातों पर जो हम सभी को घेरे रहती हैं . गत तीन-चार वर्षों से वर्ष में कुछ समय मेरा अमेरिका में रहना होता है , इस प्रवास में बहुत कुछ देखने को मिलता है। कुछ इत्मीनान से , कुछ सोच समझ के साथ। जैसे , स्वतंत्रता की देवी ( statue of liberty ) की मूर्ति वाले इस विशाल देश में लोग वास्तव में स्वतंत्रता का मूल्य और अर्थ समझते हैं, हर व्यक्ति आपको स्वतंत्रता देता मिलेगा , होटल में , सड़क पर , मॉल में , सभी जगह। तुलना न करें , हमने अभी स्वतंत्रता का यह पहलु छुआ ही नहीं कि यह दूसरों को देने की चीज है , न कि सबसे ले लेने की। यहाँ किसी भी सार्वजनिक स्थल पर किसी की तरफ देखना तो जैसे चलन में है ही नहीं , घूरना तो जैसे लोग जानते भी नहीं कि यह भी कोई सामाजिकता होती है। सामान्यत: लोग कार से ही चलते हैं , लेकिन कार चेज , ड्राविंग में करतब दिखाना जैसी चीजें शून्य हैं , हॉर्न बजाने की संस्कृति है ही नहीं , अपरिहार्य परिस्थितियों को छोड़ कर। वैसे यह सब चीजें यूरोप और लैटिन अमेरिका में भी हैं ,हमने देखी हैं। सार्वजनिक जीवन में कहीं भी वी. आई. पी. संस्कृति जैसी कोई चीज दिखाई नहीं देती है.
कार्य स्थल पर अपनी सीट छोड़ने की कला लोगों को आती ही नहीं , फ़ोन पर रहना , आपस में बातचीत करना , दिखाई नहीं देता है। ऐसा लगता है अनावश्यक बाते करना भी लोगों को नहीं आता है। जीवन में एक गति है , थोड़ी तेज गति है , स्त्रियां भी तेज गति से चलती हैं , विशेष -कर कामकाजी महिलायें . लोगों में काम के प्रति समर्पण है , जोर से बात करना , विवाद करना , देर हो गयी अत: अब बाहर नहीं निकालना , जैसी कोई चीज नहीं है। बातचीत हमेशा हाय के अभिवादन से मुस्कराहट के साथ शुरू होती है . कार्यक्षेत्र में बातचीत महिलायें ही शुरू करती हैं , हमेशा अभिवादन और मुस्कराहट के साथ .
डॉलर की करेंसी सभी एक साइज , रंग , रूप की होती है , केवल उस पर १ , ५, १०, २०, ५०, १००,अंकित रहता है . क्या हम यह कर सकते है ? बिलकुल कर सकते हैं , लेकिन पहले पूरे देश को साक्षर बनाना होगा , नहीं तो अनपढ़ तो पांच की जगह दस का नोट दे जायेगा .
सबसे बड़ी बात हमारे यहां अजन्में शिशु का लिंग परीक्षण करना , कराना अपराध है , कारण हम सभी जानते हैं ,यू एस ए में हर होने वाले माता - पिता को काफी पहले से यह बता दिया जाता है कि बेटा होगा या बेटी . लोग जन्म से पूर्व आयोजित होने वाले बेबी शॉवर जैसे आयोजन बेटे या बेटी जो भी हो उसके नाम पर करते हैं। यहां बेबी शॉवर वैसा ही आयोजन होता है जैसे हमारे यहां गोद भराई की रस्म होती है , मेहमान पूर्व जानकारी के हिसाब से पुत्र या पुत्री , जो हो , उसके लिए वस्त्र या अन्य उपहार लाते हैं।
विवेचना की कोई जरुरत नहीं। सिर्फ चिंतन करें , बहुत से अर्थ छिपे हैं इन बातों में।

मौलिक एवं अप्रकाशित
-----...------
डॉ ० विजय शंकर

Views: 841

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 20, 2014 at 12:46am
बहुत बहुत धन्यवाद आ o सौरभ पांडे जी।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 19, 2014 at 11:57pm

पढ़ कर बहुत अच्छा लगा.. .

सादर

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 18, 2014 at 8:13pm
आ o जीतेन्द्र ' गीत ' जी ,
आपको लेख अच्छा लगा , धन्यवाद । आपने कुछ जिज्ञासा दिखाई , वह भी अच्छा लगा । जो मैंने देखा , केवल वही बताता हूँ , तो बहुत सी अमेरिकन महिलाओं को भारतीय साड़ी का पहनावा कुछ आकर्षक लगता , मेरी पत्नि से कई बार लायब्रेरी , रेस्त्रां , मॉल में महिलाएं आकर साड़ियों के बारे में रूचपूर्ण बातें करती हैं , भारतीय आभूषणों में भी रूचि दिखाती हैं । भारतीय रेस्त्रां में अमेरिकन भी आते हैं और भारतीय भोजन भी काफी रूचि से खाते हैं । चूँकि भारतियों की संख्या अब काफी नज़र आती है अत: बहुत अधिक उनकीं रूचि प्रदर्शन के अवसर कम ही नज़र आते हैं । बच्चों के प्रति जबरदस्त आकर्षण देखने को मिलता है , अमेरिकन महिलायें रुक रुक कर बच्चों को देखते हैं , बात करते हैं , विश करते हैं । डॉक्टर्स का व्यवहार बहुत आकर्षक , वे आपको पूरा समय देते हैं , आपकी बातें बहुत ध्यान से सुनते हैं और मित्रवत ढंग से बात करते हैं , प्रायः दवाएं बहुत काम लिखतें हैं । वैसे यह संस्कृति सभी कार्यक्षेत्रों में है । फिलहाल ....
सादर.
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 18, 2014 at 10:28am

बहुत ही सार्थक लेख आपने यहाँ साझा किया है, बहुत बुद्धिजीवी तो नही हूँ किन्तु यह कह सकता हूँ की जैसे हमें विदेशों में कुछ अच्छा लगता है तो शायद उन्हें भी हमारे देश में कुछ न कुछ भाता ही होगा. हालाँकि हमारा देश जनसँख्या व् अलग अलग धर्मों के हिसाब से बहुत बड़ा है यहाँ की संस्कृतियाँ तो शायद सभी देशो को भाती है हमारे देश में मनाये जाने वाले त्यौहार, जो हर रिश्ते-नातों को एक मजबूती प्रदान करते है. रही बात स्वतंत्रता की तो उसके भी अनुशाशन नामक डोर से हाथ-पांव बंधे रहना चाहिए, ताकि कुछ अनुशाशनहीन कार्य न हो सकें. स्वतंत्रताओं को हर व्यक्ति अपने हिसाब से चला ले जाता है जहाँ तक उसे फायदा दिखे जब उसी स्वतंत्रता में जाकर फस जाए तब उसे अनुशाशन की याद आ ही जाती है. भावनाओं के बारे में अगर बात करें तो दुनिया में हर इंसान की हर प्राणी की भावनाए होती है जो इंसान या प्राणियों को ही समझना पड़ता है. नही तो एक कहावत है जैसे को तैसा.

 

बधाई प्रेषित इस प्रस्तुति पर आदरणीय डा.विजय जी

सादर!

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 18, 2014 at 3:46am
प्रिय जवाहर लाल जी ,
कृपया अपना फेस बुक अकॉउंट हमें दें हम भी देख लेगें प्रतिक्रियाएं.
सादर.
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 17, 2014 at 1:00pm

इस बेहतरीन पोस्ट को मैं साझा कर रहा हूँ फेसबुक पर ..देखते हैं वहां क्या प्रतिक्रिया आती है ...यहाँ मैं पढ़ रहा हूँ सबके विचार ...आपका हार्दिक आभार!

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 16, 2014 at 11:43pm
आदरणीय गिरिराज जी ,
शतप्रतिशत सहमत हूँ मैं आपके विचारों से , निरंतर परिवर्तन और निरंतर प्रगति के इस युग में सिर्फ जागरूक रहने से बात पूरी नहीं बनती नजर आती है. जो त्याज्य है उसे तजने और जो सुरुचिपूर्ण है, और हमारी संस्कृति में ग्राह्य है उसे अपना लेने कोई त्रुटि नहीं है. विज्ञान और वैज्ञानिक उपकरणों में हम क्या क्या नहीं अपना रहे हैं . बहुत बहुत धन्यवाद .
सादर.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 16, 2014 at 9:57pm

आदरनीय विजय भाई , व्यवहारिक अच्चाइयाँ जहाँ कही भी हो न केवल सराहना के योग्य होती हैं अपितु अनुकरणीय भी होती हैं । और अपनी सभ्यता और संस्कृति की सीमाओं मे रहते हुये इनका अनुकरण किया भी जाना चाहिये ॥

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 16, 2014 at 6:51pm
वार्ता की भावना को स्वीकार कर उजागर करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद . मानवीय जीवन में कुछ बातें देश काल से इतर और ऊपर होती हैं और उनकी असीमित व्यापकता उनकी निष्पक्षता होती है , अत: उस पर चर्चा या उसे अपनाने की बात करना या सोचना मानवीय मूल्यों की समझ और उनकें प्रति सम्मानित समर्पण की भावना को प्रकट करता है .
प्रश्न यह भी गंभीर है कि वहां माता पिता को जन्म से पूर्व संतान का पुत्र या पुत्री होना पता रहता है और हमारे यहां यह पता करना ही आपराधिक बना दिया गया है . ऐसे कानून का बनाया जाना हमारी पुत्रियों के प्रति हमारी पूरी सोच को और समाज की विवशता को प्रकट करता है . क्या हमारी सोच को एक सही दिशा देने के लिए इतने कठोर कानून की ही अश्यकता है , यदि उत्तर हाँ है तो वाकई में हमें अपनी सामाजिक और मानवीय मूल्यों की सोच को बहुत बहुत समझने की आवश्यकता है, और ऐसा कुछ करने की कि लोग उस सोच से बाहर निकल सके.
पुनः एक बार बहुत बहुत धन्यवाद.

सादर.

सेवा में,
सुश्री गीतिका वेदिका जी


.
Comment by वेदिका on June 16, 2014 at 11:50am

प्रेरक लघुवार्ता प्रस्तुति है| लघुलेख अपना प्रभाव छोडने मे पर्याप्त सक्षम हुआ है| 

यहाँ बात भारत देश और दूसरे देश के मध्य तुलना नही की गयी है, बल्कि तुलना है अमेरिकी नागरिकों की भावना अमेरिका के प्रति उस वातावरण के प्रति उस समाज के प्रति और उनके उस योगदान के प्रति जो वे अपनी जन्मभूमि को समर्पित करते है|  किसी भी दर्शन की अच्छी बातें अच्छा दृष्टिकोण अपनाने मे क्या बुराई है| ये आप पर निर्भर करता है कि आप उनका पिज्जा बर्गर अपनाते है या उनका अपने जॉब के प्रति समर्पित होकर कर्मठता और ईमानदारी से डेडलाइन के पहले ही टास्क कंप्लीट करते है| खैर ......... बहुत से उदाहरण दिये जा सकते है इस तरह के| एक छोटा उदाहरण देना चाहूंगी "जब भी कोई भारतीय कहीं देर से पहुंचता है, तो शर्मिंदा होने के बजाय उसे भारतीय घड़ी कि संज्ञा दे कर हवा मे उड़ा दिया जाता है| 

मै बहुत आभारी हूँ आपके इस लेख की जिसने मुझे इतनी अच्छी बाते बतायीं जिसमे करन्सी की समानता होना, और हॉर्न संस्कृति का प्रयोग| विदित हो कि भारत मे प्रेशर हॉर्न प्रतिबंधित है काफी समय से, क्यूकी इनसे शॉक लगने का खतरा, हृदयघात, अकस्मात दुर्घटना, और गर्भपात का चांस रहता है| फिर भी देखिये हर टेक्सी मे आप प्रेशर हॉर्न का बड़े स्तर पर प्रयोग पाएंगे आप|  

और स्वयं स्वामी विवेकानंद जी ने भी कहा है कि जियो अपने धर्म मे लेकिन किसी भी धर्म, दर्शन, और संस्कृति कि अच्छाइयाँ ग्रहण करना चाहिए|

लेख का दृष्टिकोण अपने विषय से न्याय कर रहा है| बधाई आपको!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
18 minutes ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
2 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
14 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Monday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service