उफ़ गर्मी बहुत है रे
पैसे कौड़ी रह रह दिखाए
पास खड़ी खूब इतराए
महंगी से महंगी साड़ी पहने
गले में हीरो के लादे गहने
उफ़ गर्मी बहुत है रे ....
मंहगे पार्लर में जा के आये
कृतिम सुन्दरता पर भी इतराए
बालों की सफेदी मंहगे कलर से छुपाये
पैडी-मैनी क्योर न जाने क्या क्या करवाए
दात भी डाक्टर से चमकवाये
अपनी हर कुरूपता छुपाये
उफ़ गर्मी बहुत है रे.....
पति की नौकरी पर इठलाये
रह रह बड़ा अफसर बतलाये
भले पति देता न हो रत्ती भर भाव
कहती जमीं पर रखने नहीं देता पाँव
कहती फिरे फूलों की सेज पर सोये
पति करता खूब प्यार मुनादी करवाए
अपने प्रेम की झूठी तस्वीरें दिखलाये
उफ़ गर्मी बहुत है रे.....
बच्चो की बडाई करते नहीं अघाए
रह रह उनकी कमायाबी बतलाये
फेल हुए को भी पास दिखाए
उनकी नौकरी पर भी इतराए
असंस्कारी को संस्कारी जतलाये
अच्छी खासी आई शादी भी ठुकराए
उफ़ गर्मी बहुत है रे .....
जताती सास ससुर की करती सेवा
पर चुप्पे-चुप्पे खाती रहती मेवा
सुखी रोटी परोस कहती ला जेवा
पति सामने हो तो मुस्काती रहे
पीठ पीछे सास ससुर को आँख दिखाए
बुजुर्ग त्रिया चरित्र इसी को कह गये
उफ़ गर्मी बहुत है रे.....सविता मिश्रा
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
आप सभी का आभार ..सादर ......नमन
बढ़िया व्यंगात्मक अभिव्यक्ति ...बहुत बहुत बधाई सविता जी.
सविता जी
वाकई गर्मी बहुत है i आपने गर्मी की आड़ में जो व्यन्ग्य -बन चलाया हा वह अद्वितीय है i अति सुन्दर i
coontee mukerji sis shukriya apka ....sundar kar diya aapne dil se abhar
बहुत अच्छी लगी आपकी रचना आदरणीया सविता जी, हार्दिक बधाई
अब तो उमस भी बढ़ गयी है
जताती सास ससुर की करती सेवा
पर चुप्पे-चुप्पे खाती रहती मेवा
सुखी रोटी परोस कहती ला जेवा
पति सामने हो तो मुस्काती रहे
पीठ पीछे सास ससुर को आँख दिखाए
बुजुर्ग त्रिया चरित्र इसी को कह गये
उफ़ गर्मी बहुत है रे......
सादर
नमस्कार
bahut बहुत धन्यवाद .....:)
कमिया भी अवश्य होगी मार्गदर्शन करेगे तो और ख़ुशी होगी
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