For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तरही ग़ज़ल- आयेंगे कब अच्छे दिन तू ही बता !

ग़ज़ल –
फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन
२१२२ २१२२ २१२

एक रत्ती कम न ज़्यादा चाहिए |
मांगते हैं हक़ हमारा चाहिए |


कौन कहता है कि राजा चाहिए |
इस सियासत को पियादा चाहिए |


आयेंगे कब अच्छे दिन तू ही बता ,
कब तलक रखना भरोसा चाहिए |


वो मदारी हम जमूरे हैं फकत ,
हम मरें उनको ये वादा चाहिए |


वायदों के गीत गाये पांच साल ,
खेलने को वो खिलौना चाहिए |


उनकी आँखों ने मुझे बतला दिया,
डूबने वालों को दरया चाहिए |


बूँद में मोती की ताक़त है मियां ,
हर किसी को एक मौक़ा चाहिए |


बेटियाँ अफ़सोस अब भी बोझ हैं ,
हो नाकारा फिर भी बेटा चाहिए |


आश्वासन का ही दे दो झुनझुना ,
झूठ का ही हो सहारा चाहिए |

* सर्वथा मौलिक एवं अप्रकाशित .

- (C)अभिनव अरुण

Views: 739

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on July 7, 2014 at 2:17pm

कोशिशों को भी आपका स्नेह मिलता है तो अच्छा लगता है ..आपके आशीष पा कर ग़ज़ल धन्य  हुई आदरणीय , सादर प्रणाम !! स्नेह एवं मार्गदर्शन की अपेक्षा सदा रहती है आपसे !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 1:36am

इस सार्थक ग़ज़ल के लिए भरपूर दाद और ढेर सारी बधाइयाँ .. ..

इस तरह पर कहा जाना अच्छा लगा.

शुभेच्छाएँ

Comment by Abhinav Arun on June 30, 2014 at 8:07pm
आदरणीया Dr.Prachi Singh साहिबा आभार- अभिवादन !!

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 30, 2014 at 7:35pm

हर शेर बहुत सामयिक और सार्थक हुआ है 

बहुत बहुत बधाई आ० अभिनव अरुण जी 

Comment by Abhinav Arun on June 26, 2014 at 8:58am

आदरणीय श्री Ram Awadh VIshwakarma  जी बहुत शुक्रिया आभार आपका !1

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on June 24, 2014 at 12:50pm

एक रत्ती कम न ज़्यादा चाहिए |
मांगते हैं हक़ हमारा चाहिए |


कौन कहता है कि राजा चाहिए |
इस सियासत को पियादा चाहिए |


आयेंगे कब अच्छे दिन तू ही बता ,
कब तलक रखना भरोसा चाहिए |

शानदार मतला एवं सम्पूर्ण अच्छी गजल के  लिये बधाई

 

Comment by Abhinav Arun on June 23, 2014 at 7:25pm

आदरणीय श्री शिज्जू जी शुक्रिया आपने ग़ज़ल सराहा ग़ज़ल धन्य हुई !!

Comment by Abhinav Arun on June 23, 2014 at 7:24pm

सादर अभिवादन आदरणीय श्री गिरिराज जी , आभार स्नेह मिलता रहे !!

Comment by Abhinav Arun on June 23, 2014 at 7:24pm

आदरणीय श्री लक्षमण धामी जी सही कहा ध्यान रखा जायेगा ..आभार !!

Comment by Abhinav Arun on June 23, 2014 at 7:23pm

आदरणीय श्री विजय जी आभार आपकी टिप्पणी मुझे जिम्मदारी का एहसास कराने के लिए पर्याप्त है ..उम्मीद है परिमार्जन परिश्रम से राह निकलेगी !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सर जी विषयांतर्गत नारी विमर्श की बहुत ही मार्मिक बढ़िया सृजन बढ़िया आग़ाज़ और…"
7 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"लघुकथा : युद्ध दिल को देखो चेहरा न देखो,चेहरों ने लाखों को लूटा,दिल सच्चा और चेहरा झूठा... हाँ, यही…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"स्वागतम"
yesterday
Chetan Prakash posted a blog post

एक ताज़ा ग़ज़ल

2122 1122 1122 22ख़्वाब से जाग उठे शाह सदा दी जाए पकड़े जायें अभी क़ातिल वो सज़ा दी जाएबख़्श दी जाए…See More
Monday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
Saturday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
""ओबीओ लाइव तरही मुशाइर:" अंक-161 को सफल बनाने के लिए सभी ग़ज़लकारों और पाठकों का हार्दिक…"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"नाहक जी, अपने अंदर विनम्रता लाएँ और उस्तादों का आदर करना सीखें। इस्लाह से संबंधित कोई शंका हो तो…"
Saturday
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी नमस्कार। बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने। बधाई स्वीकार करें।"
Saturday
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय नीलेश जी आदाब। बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए बधाई स्वीकार करें। "
Saturday
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय Devesh Kumar जी नमस्कार। ओबीओ के मंच पर आपका स्वागत है। अच्छी ग़ज़ल कही है आपने। बधाई…"
Saturday
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है। बहुत बहुत बधाई"
Saturday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service