ग़ज़ल -
फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन
२१२२ २१२२ २१२२ २१२
मौत का आना है तय उससे बचा कोई नहीं |
काम आ पायेगी अब शायद दुआ कोई नहीं |
अब बुज़ुर्गों के लिए रोटी दवा दालान में ,
घर के लोगों का अब उनसे वास्ता कोई नहीं |
है पते वालों की ख़ातिर आपकी हर योजना ,
वो कहाँ जाएँ कहो जिनका पता कोई नहीं |
कौन अब ताउम्र जीता है किसी के वास्ते ,
इश्क़ फरमाते हैं सब पर बावफ़ा कोई नहीं |
मुल्क की गठरी नहीं इस रास्ते महफ़ूज़ है ,
राहजन चारों तरफ हैं रहनुमा कोई नहीं |
सत्य का परचम लिए तनहा डटा मैदान में ,
मेरे पीछे तो यहाँ अब तक चला कोई नहीं |
देखिये मंचों पे उनको पहली सफ़ में बैठते
जिनकी ग़ज़लों में रदीफ़ों काफ़िया कोई नहीं |
बंद कमरों की सियासत उनको ले डूबी मियाँ ,
बारिशों का ख्व़ाब था छाई घटा कोई नहीं |
* सर्वथा मौलिक अप्रकाशित .
- अभिनव अरुण .
Comment
आपके आशीष पा कर ग़ज़ल धन्य हुई आदरणीय , सादर प्रणाम !! स्नेह एवं मार्गदर्शन की अपेक्षा सदा रहती है आपसे !!
वाह ! इन शेरों पर दाद देने में ’कमाल’ शब्द भी कमतर होगा -
मौत का आना है तय उससे बचा कोई नहीं |
काम आ पायेगी अब शायद दुआ कोई नहीं |
अब बुज़ुर्गों के लिए रोटी दवा दालान में ,
घर के लोगों का अब उनसे वास्ता कोई नहीं |
है पते वालों की ख़ातिर आपकी हर योजना ,
वो कहाँ जाएँ कहो जिनका पता कोई नहीं |
लेकिन निम्न शेर सामने से क्या गुजरा, मैं बह गया -
बंद कमरों की सियासत उनको ले डूबी मियाँ ,
बारिशों का ख्व़ाब था छाई घटा कोई नहीं | ..
तल्ख़ किन्तु यही सच है !
सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई,,,,,,,,,,,,,,,,,,बहुत सुंदर.,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
आदरणीय श्री सुशील जी एवं डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव तहे दिल से आभार आप सबका रचना सार्थक हुई !!
आदरणीया राजेश कुमारी जी उत्साहवर्धन एवं अनुमोदन के लिए तहे दिल से शुक्रिया आपका !!
आदरणीया कुंती जी बहुत शुक्रिया बहुत आभार , जी अवश्य साहित्य और सच ही मेरी पटरियां हैं और ज़िन्दगी रेल ...
आदरणीय श्री नादिर जी हार्दिक रूप से धन्यवाद ये अशार मेरे भी पसंदीदा है ..शुक्रिया !!
है पते वालों की ख़ातिर आपकी हर योजना ,
वो कहाँ जाएँ कहो जिनका पता कोई नहीं |
कौन अब ताउम्र जीता है किसी के वास्ते ,
इश्क़ फरमाते हैं सब पर बावफ़ा कोई नहीं |
आदरणीय अभिनव जी शानदार गज़ल के लिए ढेरों शुभकामनायें ....सभी शेर पसंद आए
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