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तरही ग़ज़ल- आयेंगे कब अच्छे दिन तू ही बता !

ग़ज़ल –
फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन
२१२२ २१२२ २१२

एक रत्ती कम न ज़्यादा चाहिए |
मांगते हैं हक़ हमारा चाहिए |


कौन कहता है कि राजा चाहिए |
इस सियासत को पियादा चाहिए |


आयेंगे कब अच्छे दिन तू ही बता ,
कब तलक रखना भरोसा चाहिए |


वो मदारी हम जमूरे हैं फकत ,
हम मरें उनको ये वादा चाहिए |


वायदों के गीत गाये पांच साल ,
खेलने को वो खिलौना चाहिए |


उनकी आँखों ने मुझे बतला दिया,
डूबने वालों को दरया चाहिए |


बूँद में मोती की ताक़त है मियां ,
हर किसी को एक मौक़ा चाहिए |


बेटियाँ अफ़सोस अब भी बोझ हैं ,
हो नाकारा फिर भी बेटा चाहिए |


आश्वासन का ही दे दो झुनझुना ,
झूठ का ही हो सहारा चाहिए |

* सर्वथा मौलिक एवं अप्रकाशित .

- (C)अभिनव अरुण

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Comment by MAHIMA SHREE on June 22, 2014 at 6:45pm

एक रत्ती कम न ज़्यादा चाहिए |
मांगते हैं हक़ हमारा चाहिए

 बूँद में मोती की ताक़त है मियां ,
हर किसी को एक मौक़ा चाहिए |...क्या बात है .... बहुत -२ हार्दिक बधाई आदरणीय अभिनव जी सादर 

Comment by Abhinav Arun on June 22, 2014 at 6:43pm
आदरणीया राजेश कुमारी आपका अनुमोदन मेरे लिए प्रेरणा स्रोत है , हार्दिक आभार , धन्यवाद !!
Comment by Abhinav Arun on June 22, 2014 at 6:42pm
ह्रदय से आपका आभार आदरणीय डॉ गोपाल नारायण जी ,

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 22, 2014 at 3:36pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल हर अशआर कटाक्ष के मूढ़ में है चाहे वो सियासत दारों पर हो या बेटी बेटों में फर्क करने वालों पर ...बहुत खूब दिली दाद कबूलिये अभिनव अरुण जी |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 22, 2014 at 1:29pm

अभिनव जी

कई रंगों में डूबी आपकी गजल बड़ी पुर असर है i i आपको बधाई i

कृपया ध्यान दे...

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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