For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कांच की दीवार :नीरज कुमार नीर

तुम्हारे और मेरे बीच है
कांच की एक मोटी दीवार
जो कभी कभी अदृश्य प्रतीत होती है
और पैदा करती है विभ्रम
तुम्हारे मेरे पास होने का

मैं कह जाता हूँ अपनी बात
तुम्हें सुनाने की उम्मीद में
तुम्हारे शब्दों का खुद से ही
कुछ अर्थ लगा लेता हूँ.

क्या तुम समझ पाती होगी
मैं जो कहता हूँ
क्या मैं सही अर्थ लगाता हूँ
जो तुम कहती हो ..

कांच की इस दीवार पर
डाल दिए हैं कुछ रंगीन छीटें
ताकि विभ्रम की स्थिति में
मुझे सत्य बता सकें .

कांच के उस पार से
तुम्हे देखना अच्छा लगता है
अच्छा लगता है तुम्हारी
अनसुनी बातों का
खुद के हिसाब से अर्थ लगाना ..

नीरज कुमार नीर 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 719

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 27, 2014 at 12:09pm

आदरणीय नीरज जी इस शानदार रचना पर तहे दिल बधाई सादर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 26, 2014 at 11:29pm

हम को मैं और तुम करती इस दीवार को बहुत सुन्दरता से बयां करती पंक्तियाँ, बधाई आदरणीय नीरज जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 26, 2014 at 7:29pm

आदरनीय नीरज भाई , रिश्तों की विषमताओं को जीती आपकी रचना सुन्दर और स्वाभाविक लगी , आपको बधाइयाँ ॥

Comment by नादिर ख़ान on June 25, 2014 at 11:02pm

तुम्हारे और मेरे बीच है 
कांच की एक मोटी दीवार 
जो कभी कभी अदृश्य प्रतीत होती है 
और पैदा करती है विभ्रम 
तुम्हारे मेरे पास होने का

आदरणीय नीरज जी  शानदार शुरुआत की आपने कविता की और उतनी ही उम्दगी से इसे अंत तक निभाया

कांच के उस पार से 
तुम्हे देखना अच्छा लगता है 
अच्छा लगता है तुम्हारी 
अनसुनी बातों का 
खुद के हिसाब से अर्थ लगाना .. बहुत  उम्दा ..

 

Comment by annapurna bajpai on June 25, 2014 at 6:05pm

बहुत खूब , बधाई आपको । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 24, 2014 at 5:26pm

बहुत सुन्दर रचना ....बधाई नीरज जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service