दिल में सोंधी महक (एक हास्य रचना )
अरे! ये क्या हुआ
कल ही तो वर्कशाप मेंठीक करवाया था
टेस्ट ड्राईव भी करवाई थी
कार्य प्रणाली
बिलकुल ठीक पाई थी
माना टक्कर बहुत भारी थी
कई टुक्क्डे हो गए थे
मगर वर्कशाप में
कमलनयनी ब्रांड के नयनों के फैविकोल से
टूटे दिल के टुकड़े अच्छी तरह चिपकाए थे
उसकी मधुर मुस्कान ने ओके किया था
दिल फिर
अपनी ओरिजनल कंडीशन मेंधड़कने लगा था
गजब, ठीक होते ही दिल
वर्कशाप के मेकैनिक पर मरने लगा था
हमने मेकैनिक कोमलान्गिनी से पूछा
क्यों अब कोइ तकलीफ तो न होगी
कमाल की बात करते हो
यहाँ से जाने के बाद
इसकी गति हमेशा यूँ ही बनी रहेगी
हम खुशी खुशी अपने दिल को
टेनिस की बाल की तरह
उछालते हुए घर आये
होठों ने भी रूमानियत भरे गीत गुनगुनाये
दिल के सेंसर बहुत पावर फुल लगाये थे
दिल के चुम्बकीय क्षेत्र में आते ही
दिल के वाल्व सायरन बजाने लगते थे
हम बहुत खुश थे
सोचा अब तो ख्वाब भी क्वालटी के आयेंगे
अच्छे ख्वाब की आस में
हमने बेड पर अपनी टाँगें फैलाई
किसी चलचित्र की भांति
ख्वाब में अभी नामावली ही चल रही थी
कि अचानक लगा जैसे
दिल के पैंडुलम की गति
कुछ धीमी होने लगी थी
हम घबराये,
आजीवन गारंटी और
एक ही दिन में ट्यूनिंग खराब
जैसे तैसे रात निकाली
सुबह अपने कमजोर धड़कनों वाले दिल को
वर्कशाप में कोमलान्गिनी को दिखाया
वो देखते ही बोली
महाशय कहीं कोइ भारी ख्वाब तो नहीं देखा था
कमाल करती हो, हम बोले
इसने तो नामावली पर ही दम तोड़ दिया
तो कोम्लान्गिनी बोली
आपको बीमारी के बाद
कुछ दिनों तक हल्की डाईट लेनी चाहिए थी
ऐसा तो नहीं कहा था,हम बोले
वैरी सोरी
मैं आपके नये दिल में
इस क़दर खो गयी थी कि
हिदायत देनी याद नहीं रही
खैर अभी ठीक कर देती हूँ
उसने अपने नयनों से
निकलने वाली गामा रेज़ से
दिल का सेक किया
और दिल ठीक कार्य करने लगा
ध्यान रहे, वो बोली
कुछ दिनों तक तड़के वाली
मसाले दार चीजों से परहेज रखना
फास्ट फ़ूड से फासला बनाये रखना
हमने हाँ में हाँ मिलाई
और आदत से मजबूर
फिर नजर उठा कर
कोम्लान्गिनी की नजर से नजर मिलाई
लेकिन फिर मसाले दार चीजों से
परहेज की बात याद आई
तो अपने दिल की सेहत का
ध्यान कर हमने अपनी नजर
तुरंत वहां से हटाई
और नजर नीची कर
सोचते रहे
कि नई महक
आज भी पुरानी महक को
कहाँ मात दे पाती है
दिल पुराने ही सही पर
मुहब्बत के आशियाने हैं
हर धड़कन आज भी गुनगुनाती
कई बीते जमानों के तराने है
आज भी उन दिलों में
पावन प्यार की ज्योति है
जो मर के भी ज़िंदा रहती है
इस प्यार की सदा
दिल में सोंधी महक रहती है
.
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय डॉ विजय शंकर जी रचना पर आपकी काव्यात्मक स्नेहमयी प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार।
आदरणीया राजेश कुमारी जी रचना पर आपकी व्यंग्यात्मक स्नेहमयी प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार।
आदरणीय डॉ गोपाल श्रीवास्तव जी रचना पर आपकी ऊर्जावान स्नेहमयी प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार।
हाहाहा ....अच्छा हुआ गाड़ी सही वक़्त पर ही पटरी पर आ गई .......वरना लग रहा था कि कोम्लान्गिनी के दर्शन के लिए इस बार तो खुद ट्यूनिंग ही खराब की अगली बार पता नहीं क्या खराब करेंगें और कर्कशांगिनी भी घास नहीं डालेगी .......:))))))
सरना जी
कहाँ सीखा ऐसे शब्दों के जरिये दिल में उतरना i इसे हास्य नहीं हास्य व्यंग्य कहते है i पहले आपने हंसाया फिर पैने व्यंग से रुलाया i
आपकी लेखनी को प्रणाम i
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