माँ ने आज उसके हाथ पर पूरी गोल रोटी और गुड का टुकड़ा रखा तो गोलू की आँखें आश्चर्य से फैल गईं। पलटकर आसमान की ओर देखा। पूनम का गोल चाँद चमक रहा था। दोनों की नज़रें मिलीं और एक मीठी सी मुस्कान हवा में घुल गई।
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मौलिक व अप्रकाशित
Comment
अद्भुत कथा | दो पंक्तियों में कितनी गहरी बात कह दी आपने आदरणीया कल्पना जी | हार्दिक बधाई आपको |
आपको लघुकथा पसंद आई, लिखना सार्थक हुआ, आदरणीय सौरभ जी , हार्दिक धन्यवाद आपका
उसे मालूम था, चाँद और रोटी या रोटी और चाँद विवश पलों में पर्यायवाची हो जाते हैं. तभी तो रोटी हाथ में ले चाँद को देख कर वो यों मुस्कुराया था. यह होती है कल्पनाशीलता ! उपमा पुरानी, परन्तु, असर उतना ही गहन.
आपकी इस लघुकथा ने खूब प्रभावित किया, आदरणीया कल्पनाजी. हृदय से बधाई स्वीकारें.
प्रिय प्राची जी, रचना को आपकी प्रशंसा मिलना ही मेरे लिए पुरस्कार जैसा है। आपका हार्दिक धन्यवाद
आदरणीय रवि प्रभाकर जी, यह मेरी वेब की दुनिया के तीन वर्षों में पहली छंदमुक्त रचना है। आपको इतनी पसंद आई यह तो मेरा सौभाग्य है। हाँ ऐसी रचनाएँ कभी कभी ही जन्म लेती हैं। आप सबके प्रोत्साहन से बहुत उत्साहित हूँ, आगे भी प्रयास होता रहेगा। आपका बहुत बहुत धन्यवाद
आदरणीय आशुतोष मिश्रा जी, लघुकथा की सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत ही संवेदनशील और महीन लेखन आदरणीया कल्पना जी
पूरी गोल रोटी और पूनम का चाँद क्या खूब शब्दचित्र उकेरा है
बहुत बहुत बधाई
आदरणीय कल्पना जी,
नमस्कार । आपकी प्रस्तुत लघुकथा तीन रोज पहले पढ़ी थी। तब से अब तक इसके सरूर में डूबा हुआ हूँ। अद्वितीय प्रस्तुति ! दो लाइनों में आपने वो बात कह दी जिसे कहने के लिए पूरा उपन्यास लिखना पड़े। इतना गहन और सूक्षम लेखन ! सुभान अल्लाह ! मुझे आदरणीय श्री योगराज जी की दो पंक्तिया याद आती है: “मेरे बच्चों को खाना मिल गया, मुझे सारा जमाना मिल गया।” जब कभी भी ओबीओ पर पहली तीन लघुकथायों का चयन किया जाएगा यकीनन यह लघुकथा उनमें से एक होगी। मैं तो आपका फैन हो गया हूँ। यह आपकी पहली लघुकथा है यकीन तो नहीं होता, ऐसी लघुकथा कोई पहली बार में तो नहीं लिख सकता या यूं भी कह सकते हैं कि ऐसी लघुकथा पहली बार में सिर्फ कल्पना जी ही लिख सकती हैं। आपकी धारदार लेखनी को कोटि-कोटि नमन। निवेदन है कि आप भविष्य में भी लघुकथाएं अवश्य लिखें। धन्यवाद
आदरणीया कल्पना जी ..इस अतिसूक्ष्म रचना का कोई जवाब नहीं ..आपके इस उनर से परिचित होने का सुअवसर पहली बार मिला ..स्मृति पटल पर अंकित इस शानदार रचना के लिए पुनः बधाई के साथ सादर
आदरणीय योगराज जी, आपको लघुकथा पसंद आई, मन को अपार बल मिला। आपका सादर धन्यवाद
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