For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धरती को पैगाम/नवगीत/कल्पना रामानी

 

इन्द्र्देव ने भेज दिया है

धरती को पैगाम।

 

बूँदों से है लिखी इबारत।  

बदलेगी जन-जन की किस्मत।  

मानसून इस बार करेगा

सबके मन की पूरी हसरत।  

 

भर चौमासा घन बरसेंगे

झूम झूम अविराम।

 

हरषेगा खेतों में हँसिया।

अन्न बीज रोपेगा हरिया।

उड़ जाएगी निकल नीड़ से,

बेबस हो महँगाई चिड़िया।

 

हल बैलों सँग गीत माहिया,

गाएगा सुखराम।   

 

होंगे व्यस्त घरों के कोने।

बाँटेंगे भर दूध भगोने।

इसकी-उसकी टंगी मथानी,

उतरेगी फिर दही बिलोने।

 

तवा तपेली रोज़ तपेंगे,

घर-घर सुबहो-शाम।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 666

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कल्पना रामानी on July 7, 2014 at 10:17pm

आपकी रचना पर उपस्थिति  से उत्साह दोगुना हो जाता है आदरणीय सौरभ जी, मन से धन्यवाद आपका


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 1:45am

होंगे व्यस्त घरों के कोने।

बाँटेंगे भर दूध भगोने।

इसकी-उसकी टंगी मथानी,

उतरेगी फिर दही बिलोने।

 

तवा तपेली रोज़ तपेंगे,

घर-घर सुबहो-शाम।

ग़ज़ब ! ग़ज़ब ! इस आशावादिता को सादर प्रणाम..

मुग्ध हुआ मन आदरणीया कल्पनाजी.

सादर

Comment by कल्पना रामानी on July 5, 2014 at 9:16am

आपकी प्रशंसा से तो मेरा भी मन झूम उठता है प्रिय प्राची जी, उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 30, 2014 at 7:49pm

वाह वाह 

बहुत ही प्यारा नवगीत आदरणीया कल्पना रामानी जी 

बरखा के आने की दस्तक पर मन झूम उठा बहुत सुन्दर शब्दचित्र उकेरते इस नवगीत के साथ 

बहुत बहुत बधाई 

Comment by कल्पना रामानी on June 25, 2014 at 7:40pm

आदरणीय जवाहरलाल जी हार्दिक आभार

Comment by कल्पना रामानी on June 25, 2014 at 7:39pm

प्रिय गीतिका जी, बहुत धन्यवाद आपका

Comment by कल्पना रामानी on June 25, 2014 at 7:38pm

आदरणीय विजय मिश्र जी, प्रोत्साहित करती हुई टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद

Comment by वेदिका on June 25, 2014 at 5:34pm
बहुत खूब रचना! जीवंत रचना! आपने मानसून को लाइव महसूस करा दिया।
आपको खूब खूब शुभकामनाएं आदरणीया कल्पना दीदी!
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 25, 2014 at 11:40am

रषेगा खेतों में हँसिया।

अन्न बीज रोपेगा हरिया।

उड़ जाएगी निकल नीड़ से,

बेबस हो महँगाई चिड़िया।

 

हल बैलों सँग गीत माहिया,

गाएगा सुखराम।   

मुझे ये पंक्तियाँ बहुत ही अच्छे लगी, सादर बधाई!

Comment by विजय मिश्र on June 24, 2014 at 5:34pm
शब्दों ने गजब की हरियाली छटा फैलाई है ,पढकर मन हरष उठा |साधुवाद कल्पनाजी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
19 seconds ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय, बृजेश कुमार 'ब्रज' जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, एक साँस में पढ़ने लायक़ उम्दा ग़ज़ल हुई है, मुबारकबाद। सभी…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आपने जो सुधार किया है, वह उचित है, भाई बृजेश जी।  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"इतने वर्षों में आपने ओबीओ पर यही सीखा-समझा है, आदरणीय, 'मंच आपका, निर्णय आपके'…"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी मंच  आपका निर्णय  आपके । सादर नमन "
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सुशील सरना जी, आप आदरणीय योगराज भाईजी के कहे का मूल समझने का प्रयास करें। मैंने भी आपको…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात  बिताएं उदास  हैं कितने …"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"ठीक है आदरणीय योगराज जी । पोस्ट पर पाबन्दी पहली बार हुई है । मंच जैसा चाहे । बहरहाल भविष्य के लिए…"
14 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आ. सुशील सरना जी, कृपया 15-20 दोहे इकट्ठे डालकर पोस्ट किया करें, वह भी हफ्ते में एकाध बार. साईट में…"
14 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
14 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर ओ बी ओ का मेल वाकई में नहीं देखा माफ़ी चाहता हूँ आदरणीय नीलेश जी, आ. गिरिराज जी ,आ.…"
19 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service