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काम से थककर चूर पत्नी ने कमर पीड़ा से कराहते हुए दर्द भरे स्वर में कहा - ‘हाय रा s sम !’

बिस्तर पर लेटे –लेटे पति ने पत्नी की व्यथा सुनी, बुरा सा मुंह बनाया और जोर से आह भरी – ‘हाय सी s sता !'

 

 

[अप्रकाशित व् मौलिक]

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Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 2, 2014 at 2:23pm

मीना जी / आपने कथाके अभिप्रेतको समझा  i आभारी हूँ i

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 2, 2014 at 10:14am

नारी पीड़ा को दर्शाती सुन्दर लघुत्तम कहानी के लिए हार्दिक बधाई डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी 

Comment by वेदिका on July 2, 2014 at 12:54am
नारी के दुःख पर तंज किया तो कोई प्रतिउत्तर नही मिला। यदि यही ताना स्त्री देती तो !!!
Comment by Meena Pathak on July 1, 2014 at 8:30pm

पहले तो पढ़ कर मुझे हँसी आ गई ..फिर पढ़ा  तो बात समझ आई ..कितनी आसानी से पुरुष स्त्री की तकलीफ़ का मजाक बना देते हैं ..लघुकथा हेतु बधाई | सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 1, 2014 at 5:52pm

आदरणीय निकोर जी

आपके प्रोत्साहन का आभारी हूँ i

Comment by vijay nikore on July 1, 2014 at 4:25pm

लघुकथा में नारी की वेदना, समाज में उसकी स्थिति, को अच्छा दर्शाया है। हार्दिक बधाई, आदरणीय गोपाल नारायन जी।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 1, 2014 at 11:12am

महनीया

आपने इस चुटकुला व्यंजक कथा के लेखन का अभिप्रेत समझा i इसका मुझे हर्ष है i  नारी वेदना को व्यक्ति  हलके में लेता है , यही विद्रूप है i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 1, 2014 at 11:08am

जीतू जी

आपका हार्दिक आभार i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 1, 2014 at 11:07am

शिज्जू शकूर जी

आपका  बहुत बहुत आभार i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 1, 2014 at 11:06am

आदरणीय बागी जी

आपकी टिप्पणी का स्वागत है विशेषकर इसलिए कि यह मुझे आगे के लेखन में सतर्क रखेगी i  ऐसी टीप से ही सीखने को मिलता है i सादर i अनुग्रह के लिए पुनः धन्यवाद i

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