For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

काम से थककर चूर पत्नी ने कमर पीड़ा से कराहते हुए दर्द भरे स्वर में कहा - ‘हाय रा s sम !’

बिस्तर पर लेटे –लेटे पति ने पत्नी की व्यथा सुनी, बुरा सा मुंह बनाया और जोर से आह भरी – ‘हाय सी s sता !'

 

 

[अप्रकाशित व् मौलिक]

Views: 1015

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 2, 2014 at 2:23pm

मीना जी / आपने कथाके अभिप्रेतको समझा  i आभारी हूँ i

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 2, 2014 at 10:14am

नारी पीड़ा को दर्शाती सुन्दर लघुत्तम कहानी के लिए हार्दिक बधाई डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी 

Comment by वेदिका on July 2, 2014 at 12:54am
नारी के दुःख पर तंज किया तो कोई प्रतिउत्तर नही मिला। यदि यही ताना स्त्री देती तो !!!
Comment by Meena Pathak on July 1, 2014 at 8:30pm

पहले तो पढ़ कर मुझे हँसी आ गई ..फिर पढ़ा  तो बात समझ आई ..कितनी आसानी से पुरुष स्त्री की तकलीफ़ का मजाक बना देते हैं ..लघुकथा हेतु बधाई | सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 1, 2014 at 5:52pm

आदरणीय निकोर जी

आपके प्रोत्साहन का आभारी हूँ i

Comment by vijay nikore on July 1, 2014 at 4:25pm

लघुकथा में नारी की वेदना, समाज में उसकी स्थिति, को अच्छा दर्शाया है। हार्दिक बधाई, आदरणीय गोपाल नारायन जी।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 1, 2014 at 11:12am

महनीया

आपने इस चुटकुला व्यंजक कथा के लेखन का अभिप्रेत समझा i इसका मुझे हर्ष है i  नारी वेदना को व्यक्ति  हलके में लेता है , यही विद्रूप है i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 1, 2014 at 11:08am

जीतू जी

आपका हार्दिक आभार i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 1, 2014 at 11:07am

शिज्जू शकूर जी

आपका  बहुत बहुत आभार i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 1, 2014 at 11:06am

आदरणीय बागी जी

आपकी टिप्पणी का स्वागत है विशेषकर इसलिए कि यह मुझे आगे के लेखन में सतर्क रखेगी i  ऐसी टीप से ही सीखने को मिलता है i सादर i अनुग्रह के लिए पुनः धन्यवाद i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service