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लघुकथा : खोटा सिक्का (गणेश जी बागी)

                       "अजी सुनती हो! देख लो तुम्हारे लाड़ले की करतूत, सेकंड इयर का रिज़ल्ट आया है, खीँच खांच के पास हुए हैं जनाब,  दिनभर दोस्तो के साथ मटरगश्ती और मारपीट करते रहते हैं, अब तो बर्दाश्त से बाहर हो गया है |"

                        "अब जाने भी दीजिए जी, बच्चा है, थोड़ी-बहुत ग़लतियाँ तो हो ही जाती हैं, आपको पता है,  बिटिया बता रही थी कि भाई के कारण ही कॉलेज मे कोई उसकी तरफ आँख उठाकर देखने की हिम्मत नहीं करता।"


(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by मिथिलेश वामनकर on February 12, 2015 at 1:56am

सामाजिक विसंगतियों में परवरिश का परिणाम 

Comment by नादिर ख़ान on July 27, 2014 at 10:07pm

अदरणीय गणेश जी आपने बहुत सही जगह चोट की है, ऐसे ही बच्चे  फिर बुढ़ापे मे माँ बाप पर दबंगई दिखाते हैं, और सारा दोष बहुओं पर मढ़ दिया जाता है । उम्दा प्रस्तुति के लिए ढेरों मुबारकबाद ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 27, 2014 at 12:50pm

आपके कथन से बिलकुल सहमत हूँ आदरणीय सौरभ भईया, लघुकथा पर आपका आशीर्वाद मिला,लेखन कर्म सार्थक हुआ, ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 27, 2014 at 12:47pm

सराहना हेतु आभार आदरणीय विनय कुमार जी।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 27, 2014 at 12:45pm

सराहना हेतु ह्रदय से आभारी हूँ आदरणीय मंजरी पाण्डेय जी। 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 27, 2014 at 12:45pm

लघुकथा आप तक पहुँच सकी, सृजन सफल हुआ, बहुत बहुत आभार, आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी। 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 27, 2014 at 12:44pm

लघुकथा पर आपका आशीर्वाद प्राप्त हुआ, मैं आभारी हूँ आदरणीय लडिवाला जी। 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 27, 2014 at 12:44pm

प्रिय शुभ्रांशु भाई, लघुकथा पर आपकी टिप्पणी उत्साहवर्धक है, बहुत बहुत आभार। 

Comment by Santlal Karun on July 20, 2014 at 9:36am

आदरणीय गणेश जी बागी जी,

लडके-लड़कियों के विभेद, भिन्न मानसिकता की परवरिश तथा सामाजिक विडम्बना पर अच्छी व्यंग्य लघु कथा,हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 10, 2014 at 2:16pm

आज के समाज में भाई पर पढ़ाई-लिखाई के सिवा और भी कितने काम हैं भाई ....सबसे बड़ा तो बहन की रक्षा..

कोलेज में दबंग भाई हो तो बहन की तरफ कोइ नज़र उठाने की जुर्रत कर भी सकता है क्या? 

बहुत ही सारगर्भित लघु कथा 

हार्दिक बधाई आ० गणेश जी 

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