For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माँ, बहन, बेटी के आँसू

 

माँ, बहन, बेटी के आँसू पे यहाँ रोता है दिल

रोज़ लुटती अस्मतें, क़त्लों का ग़म ढोता है दिल |

 

आबरू को उम्रदारों ने भी बदसूरत किया

मर्दों का बचपन भी है बदकार बद होता है दिल |

 

शाहो-साहब औ’ गँवारों सब में बद शह्वानीयत  

सब की आँखों में चढ़ा शर्मो-हया खोता है दिल |

 

है हुक़ूमत बेअसर बेख़ौफ़ हैं ज़ुल्मो-ज़बर  

हर घड़ी हर साँस जैसे ख़ार पे सोता है दिल |

 

आज भी शै की तरह हैं घर या बाहर औरतें

बेरहम इंसाफ़ भी तेज़ाब से धोता है दिल |

 

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

-- संतलाल करुण 

Views: 1100

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Santlal Karun on September 7, 2014 at 3:26pm

आदरणीया सुनीता दोहरे जी,

ग़ज़ल आप को अच्छी लगी, आप के मन के प्रतिक्रियात्मक भावों के प्रति हार्दिक आभार !

Comment by sunita dohare on September 5, 2014 at 4:28pm

बेहतरीन ग़ज़ल ,हर शेर दिल के करीब पँहुचा, बहुत बहुत बधाई आपको !!!

Comment by Santlal Karun on August 21, 2014 at 7:37pm

आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्र जी,

ग़ज़ल के प्रति आप की रुचि और प्रशंसा के लिए सहृदय आभार ! 

Comment by Santlal Karun on August 21, 2014 at 7:36pm

आदरणीया वेदिका जी,

ग़ज़ल पढ़ने और तारीफ़ के लिए सहृदय आभार !

Comment by Santlal Karun on August 21, 2014 at 7:34pm

आदरणीय जे.एल. सिंह जी,

सम्मान को लेकर आप की प्रसन्नता के प्रति सहृदय आभार !

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 21, 2014 at 10:36am

इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए मेरी तरफ से हार्दिक शुभकामनायें सादर बधाई के साथ 

Comment by वेदिका on August 19, 2014 at 9:39pm
गजल का हर शेर दुःख दर्द संवेदना से ओतप्रोत है। सामयिक रचना पर बधाई स्वीकारें
सादर!!
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 19, 2014 at 9:32pm

आदरणीय श्री संतलाल जी, सादर अभिवादन!

वैसे तो मैं आपकी उच्चकोटि रचनाओं से पहले से प्रभावित हूँ और आपका प्रशंशक रहा हूँ. इस सम्मान के लिए आपको हृदयतल से बधाई! उम्मीद है आप आगे भी अच्छी रचनाएँ देते रहेंगे. सादर 

Comment by Santlal Karun on August 10, 2014 at 10:28pm

आदरणीय गणेश बागी जी,

ओबीओ द्वारा 'माँ, बहन, बेटी के आँसू' को महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना घोषित किए जाने के प्रति सहृदय सद्भावनाएँ व्यक्त करता हूँ | उक्त ग़ज़ल ने आप और निर्णायकों के मन को गहराई तक छू लिया है, जानकर बड़ी खुशी हुई | मुझे इस मंच पर आने के लिए हमारे संगठन की शिक्षिका श्रीमती मंजरी पाण्डेय ने प्रेरित किया था | उसके पहले मैं ओबीओ से परिचित नहीं था | व्यस्तता के कारण लिखने-पढ़ने का कार्य अधिक नहीं हो पाता, किन्तु जितना कुछ व्यस्तता में भी दबाए नहीं दबता और हृदयतल से बाहर आ जाता है, उसे प्रकाश में लाने के लिए ओबीओ और उसके जैसे मंचों का आभार मानता हूँ | ओबीओ पर आए मुझे अधिक समय नहीं हुआ तथा इस मंच पर अधिक रचनाएँ भी न प्रकाशित कर पाया, फिर भी यह सम्मान प्रदान किया गया है, जिससे ओबीओ के प्रति मेरे हृदय में निष्ठा और आदर का भाव और भी बढ़ गया है | ... पुन: हृदयपूर्वक सद्भावनाएँ !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 31, 2014 at 8:45pm

बेहतरीन ग़ज़ल ,हर शेर दिल के करीब पँहुचा ,थे दिल से दाद कबूलें आ० संतलाल जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service