For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कितना अनजान है आदमी-डा० विजय शंकर

हमदर्दी की क्या कहें
कौन किसी के दुःख सुनता है
दूसरे को छोड़िये. आदमी
कब अपने दुखड़े सुनता है
सुनना छोड़िये , अपने
दुःख कब समझता है आदमी ।
ये तो औरों को देख कर
कुछ जान लेता है आदमी ,
अच्छा ऐसे जीता है आदमी ?
ऐसे खाता है , ऐसे पीता है
ऐसे ऐसे हँसता है आदमी
मुझे नहीं सिखाता है आदमी
आदमी का भला करना ही
नहीं चाहता है आदमी ।
आदमी से दूरी बनाता है आदमी
आदमी आदमी के बीच तरह ,
तरह की दीवारें बनाता है आदमी
दीवारों के इस पार - उस पार
दीवारों से खुश हो लेता है आदमी ॥
अपने दुःख को कहाँ क्या
कभी समझ पाता है आदमी
खुद से कितना खोया हुआ
कितना अनजान है आदमी ||
ये तो औरों को देख कर
कुछ जान लेता है आदमी
देखिये आदमी को देख कर
कैसे हैरान हो जाता है आदमी ||

मौलिक एवं अप्रकाशित.
डा० विजय शंकर

Views: 433

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 22, 2014 at 12:15am
धन्यवाद आदरणीय डॉ o आशुतोष मिश्रा जी .
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 22, 2014 at 12:13am
धन्यवाद आदरणीय जवाहर लाल जी।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 15, 2014 at 4:47pm

आदरणीय जीतेन्द्र जी वर्तमान संदर्भो को बखूबी चित्रित करती शानदार रचना पर आपको हार्दिक बधाई सादर  

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 14, 2014 at 8:27pm

आदमी का भला करना ही
नहीं चाहता है आदमी ।
आदमी से दूरी बनाता है आदमी
आदमी आदमी के बीच तरह ,
तरह की दीवारें बनाता है आदमी
दीवारों के इस पार - उस पार
दीवारों से खुश हो लेता है आदमी ॥

मिलाजुलाकर कहें तो हर मर्ज का कारण ही है आदमी...सादर!

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 13, 2014 at 10:46am
आदरणीय जीतेन्द्र जी , अच्छा लगा आपने पढ़ा इसे ,जीवन स्वयं जटिल बना लिया है तो जीवन की बातें भी थोड़ी क्लिष्ट हो ही जाती हैं , जबकि होनी नहीं चाहिए । बधाई के लिए धन्यवाद ।
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 13, 2014 at 9:29am

पूर्ण रचना सच को बयाँ करती. बाकी आपने आदरणीय विजय प्रकाश जी की प्रतिक्रिया के प्रतिउत्तर में कह ही दिया है :-))

आपको बहुत बहुत बधाई आदरणीय डा.विजय शंकर जी.  सादर!

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 12, 2014 at 2:34pm
आदरणीय विजय प्रकाश शर्मा जी , उम्र की इस अवस्था पर यह समझ सी बनती जा रही है कि कितनें भ्रम में हैं हम और कितनें दिशाहीन हैं हम , और आदमी को सही मार्ग दिखाने वाला भी कहीं कोई नहीं हैं . ये जितने भी दिखाई देते हैं वो सब सौदागर हैं अपना अपना कारोबार कर रहें , शिक्षा की तो बात न ही की जाए उतना ही अच्छा है . हम भी खूब हैं ,ब्रह्म भी हैं और खुश भी हैं .
बधाई के लिए धन्यवाद .
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 12, 2014 at 2:13pm
आदरणीय डॉ o गोपाल नरायन जी , प्रयास यह है कि आदमी कुछ तो सही समझने की कोशिश करे .
बधाई के लिए धन्यवाद .
Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on July 12, 2014 at 11:13am

आ० विजय शंकर जी,
इस रचना पर अनेक बधाईयां. आज का आदमी "अहंब्रमोस्मि " के अहं का भ्रम 

पालते हुए उसका पोषक बन गया है. आपकी रचना आज के आदमी के इस सच को मुखरित करती है.सादर.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 12, 2014 at 11:00am

मान्यवर

आपने  आदमी को नए ढंग से परिभाषित किया है i बधाई i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
15 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service