For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो घर ग़मज़दा था
ग़म का मैक़दा था

कुछ चिंगारियां थी
बाकी तो धुंआ था

हवा की सरसराहट
अजब सन्नाटा था

दरो दीवार सीली थी
वो रात भर रोया था

शक इक वज़ह थी
घर बिखर गया था
.
मुकेश इलाहाबादी ---

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 565

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on July 23, 2014 at 4:17pm

jee - shukria Saurabh Pandey jee - Giriraj jee kee baat dhyaan me hai - shukiraa


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 21, 2014 at 10:53pm

आदरणीय गिरिराज भाई ने मतले में काफ़िया को लेकर इंगित किया है. उसे आप देख लेंगे, आदरणीय मुकेशभाईजी.

ग़ज़ल के अश’आर अच्छी कहन के साथ प्रभावित करते हैं. शुभ-शुभ

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on July 17, 2014 at 11:17pm

AADARNEEYA MANJARI JEE AUR GIRIRAJ JEE - GAZAL PASANDGEE KE LIYE BAHUT BAHUTA AABHAAR - GIRIRAAJ JEE AAPKEE SALAAHIYAT KE LIYE BAHUT BAHUT SHUKRIAA KOSHISH RAHEGEE KEE MTLAA DURUST KAR SAKOON - AADAR SAHIT - MUKESH

Comment by mrs manjari pandey on July 17, 2014 at 8:02pm
आदरणीय मुकेश जी छोटी बहार की बेहतरीन ग़ज़ल। इसके लिए बधाई आपको

वो घर ग़मज़दा था
ग़म का मैक़दा था

कुछ चिंगारियां थी
बाकी तो धुंआ था

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 16, 2014 at 12:52pm

आदरणीय मुकेश भाई , बहुत सुन्दर भाव और विचार पिरोये हैं आपके अपनी रचना में , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

आदरणीय , मतले मे काफिया जो आपने लिया है उसे बाक़ी अशआर मे नही निभा पाये हैं , मतला सुधार कर , - काफिया मे आप पूरी गज़ल को ला सकते हैं ॥

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on July 16, 2014 at 12:06pm

bahut bahut aabhaar Dr.Gopal Narayan Srivastava jee aur Laxman Dhami jee - is hauslaa aafzaee ke liye

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 16, 2014 at 11:34am

आ0 भाई मुकेश जी छोटी बहर की एक सुन्दर सी गजल कहने के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें ।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 14, 2014 at 3:26pm

शक इक वज़ह थी
घर बिखर गया था------- बहुत खूब i बहुत से घर महज शक से बर्बाद हुए हैं i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service