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आईना तो सच दिखा रहा था

आईना तो
सच दिखा रहा था
जाला,
हमारी ही आखों में था

दुनिया जिसे
बेदाग़ समझती रही
धब्बा,
उसी केे दामन में था

वो बहुत पहले की बात है
जब लोग
दो रोटी और दो लंगोटी में
खुश रहा करते थे

तुम
ये जो राजपथ देखते हो
कभी वहां पगडंडी
हुआ करती थी
और एक
छांवदार पेड भी हुआ करता था

ये तब की बात है
जब लोग
धन में नही धर्म में
आस्था रखा करते थे

खैर छोडो मुकेश बाबू
इन बातों से क्या फायदा
आओ काम की बातें करें
या फिर
क्रिकेट, मौसम या सटटाबाजार
पे तजकरा करें

मुकेश इलाहाबादी ...............

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Comment by MUKESH SRIVASTAVA on November 20, 2014 at 11:13am

bahut bahut shukria Maharishi Tripathi jee

Comment by maharshi tripathi on November 19, 2014 at 11:20pm

आइने के जरिये पूर्व का ,सुन्दर वर्णन |

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on November 19, 2014 at 4:53pm

bahut bahut aabhaar Sri Lakshman Ramanuj Ladiwala jee, Yograj Prabhakar je, Giriraj Bhandari jee, Dr. Gopal Narayan jee ,Rajesh Kumari jee -

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 19, 2014 at 11:26am

बहुत सुंदर और अनुपम रचना अभिव्यक्ति  के लिए  हार्दिक  बधाई  


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 19, 2014 at 11:19am

बहुत खूब, सुन्दर प्रस्तुति.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 18, 2014 at 7:57pm

बहुत खूब , आदरनीय मुकेश भाई , हार्दिक बधाई ।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 18, 2014 at 6:48pm

vaah mukesh baboo --- sundar


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 18, 2014 at 10:50am

बहुत बढ़िया तंज कसा है क्षणिकाओं के माध्यम  से सुन्दर प्रस्तुति ..हार्दिक बधाई आपको आ० मुकेश श्रीवास्तव जी 

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on November 17, 2014 at 1:27pm

bahut bahut aabhaar is sarahnaa ke liye Shyam Narain Verma jee

Comment by Shyam Narain Verma on November 17, 2014 at 1:20pm

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ... सादर बधाई

कृपया ध्यान दे...

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