For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आई बरखा झूमती

कलियों का मुख चूमती

पवन झकोरे सर-सर करते

डाली –डाली झूमती

 

आँगन की महके है माटी

गमले में तुलसी लहराती

बैठ झरोके टुक –टुक देखूँ

भीगी मोरें नाचती

 

अंबर पर मेघों का पहरा

श्याम रंग फैला है गहरा

मेघों की धड़के है छाती

पपीहा टेर सुहाती

 

महक उठी कृषकों की पौरें

धीमी हो गई रहट की दौड़ें

गीली हो गई दिन और रातें

नई उमंगें झाँकती

मौलिक व अप्रकाशित

कल्पना मिश्रा बाजपेई 

Views: 528

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kalpna mishra bajpai on July 22, 2014 at 12:04am

आदरणीय पाण्डेय सर।, आप का सुझाव सिर आँखों पर । आप ने रचना को समय दिया बहुत आभारी हूँ मैं /सादर

टुक टुक लिखने में गलती हो गई है ध्यान रखूंगी . 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 21, 2014 at 11:03pm

आपकी प्रस्तुति के लिए सादर बधाइयाँ.

अभ्यासरत रहें आदरणीया. इससे कई तथ्य स्पष्ट होंगे.

एक बात और,  टूक-टूक  को टुक-टुक लिखते हैं. अवश्य ही यह ट्ंकण त्रुटि ही है. 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 19, 2014 at 8:27pm

सुन्दर रचना !

Comment by mrs manjari pandey on July 17, 2014 at 7:59pm
बरखा रानी जी अपना नाम सार्थक किया। भावपूर्ण प्रस्तुति
Comment by kalpna mishra bajpai on July 17, 2014 at 7:17pm

आ0 माहेश्वरी जी बहुत शुक्रिया /सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on July 17, 2014 at 7:16pm

आ0 जितेंद्र जी बहुत शुक्रिया /सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on July 17, 2014 at 7:16pm

आदरणीय धामी जी बहुत शुक्रिया /सादर 

Comment by Maheshwari Kaneri on July 16, 2014 at 6:37pm

बर्षा ऋतु का सुन्दर चित्रण किया है इसके लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें ।आदरणीया कल्पना जी

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 16, 2014 at 11:37am

आ0 कल्पना जी गीत के माध्सम से बर्षा ऋतु का सुन्दर चित्रण किया है इसके लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें ।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 15, 2014 at 1:00am

बरखा ऋतू के आगमन पर बहुत सुंदर भाव पिरोये, बधाई आदरणीया कल्पना जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
10 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service