For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कविता :- छोड़ दूं सच साथ तेरा

कविता :-  छोड़ दूं सच साथ तेरा

हर अनुभव हर चोट के बाद

अक्सर ऐसा सोचता हूँ

छोड़ दूं सच साथ तेरा

चल पडूँ ज़माने की राह

जो चिकनी है और दूर  तक जाती है

जिस राह पर चलकर

किसी को शायद नहीं रहेगी

शिकायत मुझसे

अच्छा रहूँगा

सबकी नज़र में

हाँ में हाँ मिलाने वाला

गलतियों से मुंह चुराने वाला

पर ये हो नहीं पाता

और मैं हर बार

बना लेता हूँ एक नया दुश्मन !

Views: 682

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on March 2, 2011 at 2:08pm
अश्वनी जी और वीरेंद्र जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया ... रचना आपको पसंद आयी लिखना सार्थक हुआ |पुनः आभार टिप्पणी हेतु |
Comment by Veerendra Jain on March 1, 2011 at 7:32pm

Arun ji...bahut hi saargarbhit rachna likhi hai aapne..... sach ki raah men rore atkaane wale bhi kam nahi hote jo hamaare dushman bhi ban jate hain , kintu is raah ko chhoda bhi jaye to kaise ???

bahut bahut badhai is behatarin kavita ke liye...

Comment by ASHVANI KUMAR SHARMA on March 1, 2011 at 12:14am
ACHHI RACHANA KE LIYE BADHAI
Comment by Abhinav Arun on February 28, 2011 at 2:20pm

आभारी हूँ नीलम जी आपने कविता पसंद की |

Comment by Neelam Upadhyaya on February 28, 2011 at 9:55am

 Samaj ki yahi wastavikata hai. Sach bolne ka matlab ek aur dushman khada karna hita hai. Bahut hi badhiya.

 

Comment by Abhinav Arun on February 27, 2011 at 7:34pm
काव्य पर टिप्प्पणी व प्रयास की सराहना हेतु आभारी  हूँ आदरणीया रश्मि जी ! शुक्रिया !!!
Comment by rashmi prabha on February 27, 2011 at 7:26pm
हाँ में हाँ मिलाकर अपनी निगाह से तो नहीं गिरते ... बहुत अच्छी रचना
Comment by Abhinav Arun on February 27, 2011 at 6:41pm
आदरणीय श्री बागी जी ,तिलक राज जी ,अखिलेश्वर जी और आदरणीया वंदना जी रचना पसंद कर हौसला बढाने के लिये आभार !
Comment by Akhileshwar Pandey on February 27, 2011 at 4:41pm

बेहतरीन कविता के लिए बधाई अरुण भाई.

Comment by Tilak Raj Kapoor on February 27, 2011 at 12:42pm

साथ सच का जब दिया तो मित्र कुछ कम हो गये

सच कभी बदला नहीं पर दोस्‍त मौसम हो गये।

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service