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दादी, हामिद और ईद (लघुकथा) // --सौरभ

हामिद अब बड़ा हो गया है. अच्छा कमाता है. ग़ल्फ़ में है न आजकल !

इस बार की ईद में हामिद वहीं से ’फूड-प्रोसेसर’ ले आया है, कुछ और बुढिया गयी अपनी दादी अमीना के लिए !

 

ममता में अघायी पगली की दोनों आँखें रह-रह कर गंगा-जमुना हुई जा रही हैं. बार-बार आशीषों से नवाज़ रही है बुढिया. अमीना को आजभी वो ईद खूब याद है जब हामिद उसके लिए ईदग़ाह के मेले से चिमटा मोल ले आया था. हामिद का वो चिमटा आज भी उसकी ’जान’ है.
".. कितना खयाल रखता है हामिद ! .. अब उसे रसोई के ’बखत’ जियादा जूझना नहीं पड़ेगा.. जब हामिद वापस चला जायेगा, अपनी बहुरिया के साथ, अपने बेटे के साथ.. "
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(मौलिक और अप्रकाशित)

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 10, 2023 at 12:49pm

आदरणीया राहिलाजी, प्रस्तुति पर आपकी टिप्पणी केलिए आपका हार्दिक धन्यवाद. 

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 12, 2015 at 11:03pm

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानीजी, आपकी संवेदनापूरित प्रतिक्रिया से मन तुष्ट हो गया. प्रस्तुति पर आपकी दृष्टि के लिए मैं हृदय से धन्यवाद कह रहा हूँ. 

Comment by Rahila on November 12, 2015 at 7:22pm

बहुत ही जबरदस्त रचना आदरणीय सौरभ जी ! मैं कुछ भी कहूं तारीफ़ में तो भी कम होगा । बहुत बधाई आपको । सादर ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 12, 2015 at 6:07pm
दर्दोग़म को छिपाने और ख़ुशी ज़ाहिर करने तथा होठों पर मुस्कान बिखेर देने की नैसर्गिक कला भारतीय महिलाओं में कूट-कूट कर भरी हुई है। हामिद आया , कुछ लाया और फिर चला जायेगा बहुरिया के साथ ,ऐसा आज भी तो हो रहा है,प्रेमचंद जी की कालजयी कथा के समय के पात्र आज किस रूप में हो सकते हैं, बखूबी चित्रित करने के लिए बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 23, 2014 at 10:44pm

इस लघुकथा को अनुमोदित करने केलिए सादर आभार, आदरणीया कल्पनाजी..

Comment by कल्पना रामानी on August 23, 2014 at 9:27pm

स्वार्थ की पराकाष्ठा को पर  करती आपकी लघुकथा मन को अंदर तक व्यथित कर गई, उत्कृष्ट रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई आदरणीय सौरभ जी!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 11, 2014 at 11:03pm

आदरणीया छायाजी, रचना पर समय देने और उत्साहवर्द्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 11, 2014 at 11:03pm

भाई हमनाम, आपने काश देवनागरी लिपि में अपना कहा उद्धृत किया होता.
मुझे इस शब्द shakhanvit का ही अर्थ स्पष्ट नहीं हुआ.
बहरहाल समय देने के लिए हार्दिक धन्यवाद


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 11, 2014 at 11:03pm

धन्यवाद आदरणीया कविताजी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 11, 2014 at 11:02pm

भाई दीपकजी, आपने इस प्रस्तुति पर समय दिया, हार्दिक धन्यवाद

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