For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चारो तरफ चीख़ पुकार मची हुई थी, सभी बदहवास भाग रहे थे । जिधर देखो आग ही आग । ख़ून और मांस जगह जगह बिखरा पड़ा था |  

थोड़ी ही देर में इलाक़ा पुलिस और मीडिया के लोगों से भर गया । बम डिस्पोजल स्कवॉड भी आ गया । पूरे शहर में तनाव फ़ैल गया क्योंकि विस्फ़ोट की जगह एक धर्मस्थल के पास थी और अफ़वाहें पूरे जोरों पर थीं ।

पर इन सबसे बेख़बर, एक बूढ़ा भिखारी अपनी जगह पर शांत बैठा हुआ था । किसी को नहीं पता था कि वो किस मज़हब का है , सबके आगे हाँथ फैलाना और कुछ मिल जाने पर दुआ देना, बस इतना ही जानता था वो । बड़े और बिखरे हुए बाल और दाढ़ी उसकी पहचान थे । लेकिन आज उसी मोहल्ले के एक कोने में कुछ लोग आपस में फ़ुसफ़ुसा रहे थे "वो जरूर उसी मज़हब का है, मौका है इस विस्फ़ोट का बदला ले लेते हैं ।

अगले दिन लोगों ने देखा कि इंसानियत का एक बार फिर खून हो गया था |

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 625

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on August 11, 2014 at 6:51pm

आभार विजय मिश्रजी ..

Comment by विजय मिश्र on August 11, 2014 at 12:38pm
मनुष्य धर्म जैसे व्यापक अस्तित्व को जातीय संकीर्णता में जबसे लपेटा है ,आपने सही लिखा ,मानवीयता लाश बन चुकी है |सामयिक और सटीक |आभार
Comment by विनय कुमार on August 11, 2014 at 12:20am

आभार जवाहर लाल जी..

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 10, 2014 at 9:38pm

आज के हालात पर सही चोट की है आपने!

Comment by विनय कुमार on August 10, 2014 at 12:32pm

आभार जितेंद्रजी..

Comment by विनय कुमार on August 10, 2014 at 12:32pm

आभार सौरभ जी , आप का उत्साहवर्धन अच्छा लगा |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 10, 2014 at 11:32am

ऐसे कुकृत्य किसी धर्म की सीख कत्तई नहीं हैं. लेकिन आज के दुराग्रहियों द्वारा धर्म की जो और जैसी व्याख्या की जा रही है, उसकी परिणति अवश्य है. सर्वसमाहिता जोकि किसी उच्च धर्म अथवा मानवीय कर्तव्य का अन्योन्याश्रय भाग हुआ करती है, आज की व्याख्याओं में सिरे से ग़ायब है.

लघुकथा के इंगित केलिए हृदय से बधाई, भाईजी.

भाई शुभ्रांशुजी का सुझाव ध्यातव्य है.

शुभ-शुभ

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 10, 2014 at 10:40am

बहुत अच्छी लघुकथा कही आपने, मन को झंझोड़ देती हुई. बधाई स्वीकारें आदरणीय विनय जी

Comment by विनय कुमार on August 10, 2014 at 12:26am

आभार राजेश कुमारीजी..

Comment by विनय कुमार on August 10, 2014 at 12:25am

आभार सुभ्रांशुजी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
10 minutes ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
12 minutes ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
12 minutes ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
17 minutes ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
18 minutes ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
19 minutes ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
1 hour ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
1 hour ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service