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“भाभी, अगर कल तक मेरी राखी की पोस्ट आप तक नहीं पँहुची तो परसों मैं आपके यहाँ आ रही हूँ  भैया से कह देना ” कह कर रीना ने फोन रख दिया|

अगले दिन भाभी ने सुबह ११ बजे ही फोन करके कहा, "रीना राखी पहुँच गई है ”

"पर भाभी मैंने तो इस बार राखी पोस्ट ही नहीं की थी !!! "


(मौलिक एवं अप्रकाशित )

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 11, 2014 at 10:09am

चंद्रेश कुमार जी ,लघु कथा के भाव आपको प्रभावित किये मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभारी हूँ |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 11, 2014 at 10:08am

सविता मिश्रा जी ,सच कहा रिश्तो के एग्जाम में बहुत कम पास मिलेंगे फेल अधिक बहुत दुःख होता है समाज के इस बदलते रूप को देखकर |आपको लघु कथा पसंदआई बहुत- बहुत शुक्रिया.  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 11, 2014 at 3:13am

आपने जिस सरलता से आज निरंतर क्लिष्ट होते जा रहे सम्बन्धों की बखिया उघेड़ी है वह चकित करता है. वार्तालाप शैली में प्रस्तुत लघुकथा के पात्रों में भाभी के व्यवहार को पढ़ कर न हँसते बन रहा है न खीझते बन रहा है.
यह मेरी पढ़ी हुई अभी तक आपकी सबसे चुटीली और अत्यंत महीन कथा है, आदरणीया.
सादर बधाइयाँ आदरणीया राजेश कुमारी जी...

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on August 11, 2014 at 12:14am

रिश्तों के सच को इन थोड़े से शब्दों में उभार कर रख दिया है आपने आदरणीय राजेश जी, इस भावपूर्ण रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई|

Comment by savitamishra on August 10, 2014 at 10:49pm

बदलते दौर का यही हाल है सब के सब टेस्ट में ही फेल हो जाते है इक्जाम क्या ख़ाक पास कर पायेगें .....सादर नमस्ते दी ....बहुत सुंदर कटाक्ष ...कटाक्ष भी सुंदर कहना पड रहा है :)


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 10, 2014 at 9:49pm

आ० अखिलेश जी ,आपने सही कहा यदि सब रिश्ते इस तरह टूटते रहे तो क्या बचेगा,आपके अनुमोदन से लघु कथा सार्थक हुई हृदय से आभारी हूँ | 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on August 10, 2014 at 7:40pm

आदरणीया राजेशजी, 

अर्थ युग में संबंधी, फूटी आँख न भाय।

टूटे यदि रिश्ते सभी, पशुता ही रह जाय॥

हार्दिक बधाई  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 10, 2014 at 7:02pm

आ० डॉ.गोपाल नारायण जी ,आप ने सही समझा रीना ने भाभी को टेस्ट किया और उसका परिणाम वही निकला जिसका उसे शक था.आपको लघुकथा पसंद आई, हार्दिक  आभार आपका सादर.  

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 10, 2014 at 5:51pm

आदरणीया

सुन्दर कथा i संबंधो का क्षरण i  रीना ने भाभी को टेस्ट किया i  टेस्ट का ऐसा परिणाम i  सुन्दर आदरणीय i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 10, 2014 at 4:39pm

प्रिय कल्पना मिश्रा जी,बस बदलता  जमाना , बदलते भाव बदलते रिश्ते सभी कुछ बदल रहा है ओपचारिकता भर रह गई हैं

आपको लघु कथा पसंद आई दिल से आभार आपका | 

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