For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ सामयिक दोहे / जवाहर

मानसून की देर से, खेतहि फटे दरार,

ताके किसना मेघ को, आपस में हो रार.

मानसून की अधिकता, बारिश हो घनघोर

उजड़ा घर अरु खेत अब, देखत सब चहु ओर

तीव्र पानी प्रवाह से,  वन गिरि भी थर्राय

नर पशु पानी में बहे, किसको कौन बचाय .

उथल पुथल भइ जिंदगी, कहते जिसे विकास.

जलवायु दूषित हुई,  आम हो गया ख़ास

राग द्वेष का जोर है, प्रीती नहीं सुहाय,

भाई से भाई लड़े, संचित धन भी जाय..

फैशन की अब होड़ है, फैशन डूबे लोग.

फैशन में पोषण घटे, बचा न कोइ निरोग.

(मौलिक व अप्रकाशित)

जवाहर लाल सिंह  

Views: 709

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 27, 2014 at 6:52pm

प्रिय जवाहर भाई सुन्दर और विभिन्न विषय समेटे अच्छे दोहे आइये विद्वद जन के अनुसार और साधते रहें
आभार
भ्रमर ५

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 22, 2014 at 2:43pm

आदरणीय, सादर अभिवादन!

आपके सुधारात्मक सुझाव मेरे लिए मार्गदर्शन है और मेरा प्रयास जारी रहेगा. आपका अतिशय आभार!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 22, 2014 at 1:02am

मानसून की देर से, खेतहि फटे दरार,
ताके किसना मेघ को, आपस में हो रार.... .      ... अत्यंत सधा हुआ दोहा हुआ है ! वाह !!

मानसून की अधिकता, बारिश हो घनघोर
उजड़ा घर अरु खेत अब, देखत सब चहु ओर.......   अधिकता शब्द गलत स्था पर आ गया है. देखत सब चहुँ ओर भी सधा हुआ नहीं है.

तीव्र पानी प्रवाह से,  वन गिरि भी थर्राय
नर पशु पानी में बहे, किसको कौन बचाय ...........  पहले दोहे वाली बात नहीं आ पायी, भाई

उथल पुथल भइ जिंदगी, कहते जिसे विकास.
जलवायु दूषित हुई,  आम हो गया ख़ास............ जलवायु शब्द के असहज प्रयोग ने इस अन्यतम दोहे को कमतर कर दिया, भाई..

राग द्वेष का जोर है, प्रीती नहीं सुहाय,
भाई से भाई लड़े, संचित धन भी जाय.... . .. . .....  आमजन से मुखातिब हुआ दोहा. बहुत खूब !

फैशन की अब होड़ है, फैशन डूबे लोग.
फैशन में पोषण घटे, बचा न कोइ निरोग.................बचा न कोई निरोग  को लेकर आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी पहले ही सुझाव दे चुके हैं.

आपका प्रयास बना रहे, भाईजी.
शुभेच्छाएँ

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 21, 2014 at 8:09pm

हार्दिक आभार श्री विजय निकोरे साहब!

Comment by vijay nikore on August 21, 2014 at 2:52pm

दोहे अच्छे लगे। बधाई, आदरणीय जवाहर जी।

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 20, 2014 at 11:45pm

आदरणीय श्री गिरीराज जी, सादर अभिवादन!

प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार! 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 19, 2014 at 9:49pm

आदरणीय जवाहर लाल भाई , सुन्दर दोहों की रचना के लिए आपको बधाई |

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 19, 2014 at 8:20pm

आदरणीय श्री लक्ष्मण धामी जी, सादर अभिवादन!

प्रोत्साहन हेतु आभार! 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 19, 2014 at 8:16pm

आदरणीय लडीवाला साहब, सादर अभिवादन! आपका हार्दिक आभार आपका संशोधित सुझाव सिरोधार्य है इसे सुधार कर लूँगा. सादर!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 19, 2014 at 8:14pm

आदरणीय श्री जितेन्द्र गीत जी प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ेफ जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"//जिस्म जलने पर राख रह जाती है// शुक्रिया अमित जी, मुझे ये जानकारी नहीं थी। "
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमित जी, आपकी टिप्पणी से सीखने को मिला। इसके लिए हार्दिक आभार। भविष्य में भी मार्ग दर्शन…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"शुक्रिया ज़ैफ़ जी, टिप्पणी में गिरह का शे'र भी डाल देंगे तो उम्मीद करता हूँ कि ग़ज़ल मान्य हो…"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. दयाराम जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास रहा। आ. अमित जी की इस्लाह महत्वपूर्ण है।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. अमित, ग़ज़ल पर आपकी बेहतरीन इस्लाह व हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी, समयाभाव के चलते निदान न कर सकने का खेद है, लेकिन आदरणीय अमित जी ने बेहतर…"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. ऋचा जी, ग़ज़ल पर आपकी हौसला-अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. लक्ष्मण जी, आपका तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. अमीरुद्दीन अमर जी, ग़ज़ल पर आपकी बेहतरीन इस्लाह व हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी, आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद आपको।"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service