For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज जो भी है वतन, आज़ादी की सौगात है।

क्या दिया हमने इसे, ये सोचने की बात है।

कितने शहीदों की शहादत बोलता इतिहास है।

कितने वीरों की वरासत तौलता इतिहास है।

देश की खातिर जाँबाज़ों ने किये फैसले,

सुन के दिल दहलता है, वो खौलता इतिहास है।

देश है सर्वोपरि, न कोई जात पाँत है।

आज जो भी है वतन, आज़ादी की सौगात है।

आज़ादी से पाई है, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।

सर उठा के जीने की, कुछ करने की प्रतिबद्धता।

सामर्थ्य कर गुज़रने का, हौसला मर मिटने का,

काम आएँ देश के, कुछ करने की कटिबद्धता।

सर झुके न देश का, बस एक ही ज़ज़्बात है।

आज जो भी है वतन, आज़ादी की सौगात है।

सोएँगे बेफि‍क्र हो, लुटेंगे यह सच्चाई है।

एक जुट होना ही होगा, देश पे बन आई है।

आतंक, भ्रष्टाचार ने, अम्नो वफ़ा पे घात कर

दी चुनौती है हमें, फ़ज़ा भी अब शरमाई है।

पत्थर जवाब ईंट का, घात का प्रतिघात है।

आज जो भी है वतन, आज़ादी की सौगात है।

महँगाई, घूस, वोट की राजनीति, अत्यचार है।

कानून का मखौल भी अब, होता बार बार है।

जनतंत्र में जनता ही त्रस्त, खौफ़ में जीती रहे,

रक्षक बने भक्षक, तो कैसा, कौनसा उपचार है।

ख़ुशहाल हो, हर हाल में, वतन तो कोई बात है।

आज जो भी है वतन, आज़ादी की सौगात है।

करें नमन शहीदों, हुतात्माओं और वीरों को।

बापू, जवाहर, लोहपुरुष और सैंकड़ों वज़ीरों को।

बनाना है सिरमौर, फहराना है परचम विश्व में,

अक्षुण्ण अपनी सभ्यता, संस्कृति की नज़ीरों को

गिद्ध दृष्टि डाले, ना किसी की भी औक़ात है।

आज जो भी है वतन, आज़ादी की सौग़ात है।

*मौलिक एवं अप्रकाशित*

Views: 445

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Gopal Krishna Bhatt 'Aakul' on September 3, 2014 at 8:59am

प्रणाम । सभी का आभार । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 25, 2014 at 8:33pm

आदरणीय गोपाल भी , देश भक्ति के  ज़ज्बे से ओत प्रोत आपकी रचना के लिए बधाई |

Comment by MAHIMA SHREE on August 25, 2014 at 5:45pm

करें नमन शहीदों, हुतात्माओं और वीरों को।

बापू, जवाहर, लोहपुरुष और सैंकड़ों वज़ीरों को।

बनाना है सिरमौर, फहराना है परचम विश्व में,

अक्षुण्ण अपनी सभ्यता, संस्कृति की नज़ीरों को

गिद्ध दृष्टि डाले, ना किसी की भी औक़ात है।

आज जो भी है वतन, आज़ादी की सौग़ात है।..बहुत खूब .हार्दिक बधाई आपको 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 25, 2014 at 3:27pm

कविता का कथ्य आकर्षित करता है, आदरणीय

शुभेच्छाएँ.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 24, 2014 at 8:41pm

आजादी के महीने की सुन्दर रचना!

Comment by savitamishra on August 23, 2014 at 6:29pm

सुंदर....बहुत सुन्दर

Comment by Shyam Narain Verma on August 23, 2014 at 4:09pm
" अच्छी प्रस्तुति आदरणीय ,बधाई ................. "

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
yesterday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service