For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्रांति का बिगुल ही अब नव चेतना जगाएगा

लोकतंत्र कब तलक यूँ जनता को भरमाएगा।

स्वतंत्रता का जश्न अब न और देखा जाएगा।

भ्रष्टाचार दुष्कर्मों से घिरा हुआ है देश देखलो,

इतिहास कल का नारी के नाम लिखा जाएगा।

क्रांति का बिगुल ही अब नव-चेतना जगाएगा।

आ गया है फि‍र समय जुट एक होना ही पड़ेगा।

दुष्ट नरखांदकों से फि‍र दो चार होना ही पड़ेगा।

गणतंत्र और स्वतंत्रता की शान की खातिर हमें,

बाँध के सिर पे कफ़न घर से निकलना ही पड़ेगा।

सिर कुचलना होगा साँप जब भी फन उठाएगा।

सिंह लंहड़ों में नहीं बढ़ने लगे हैं शृगाल दल।

खोने लगी है निष्ठा अब थकने लगे हैं हारावल।

लगता है पाखण्ड ही पाखण्ड है चारों तरफ़,

बोझिल धरा है पाप से उठने लगे हैं दावानल।

राह झूठ की है स्वर्ग कैसे पहुँचा जाएगा।

चरमरा रही हैं आज जन सुविधायें व्यवस्थायें।

कैसा था कल युग युवा-पीढ़ी को क्या बतायें।

हाथ में न ले लें अस्‍त्र, शस्त्र की न बोलें ज़ुबाँ,

खूनी दिवाली हो और बारूद की होली जलायें।

ऐसा हुआ तो देश का इतिहास बदल जाएगा।

*मौलिक एवं अप्रकाशित*

Views: 412

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Gopal Krishna Bhatt 'Aakul' on September 3, 2014 at 9:00am

प्रणाम। आभार सभी का। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 25, 2014 at 8:28pm

आदरणीय , सुन्दर सामयिक सन्देश देती आपकी रचना के लिए बधाई |

Comment by विजय मिश्र on August 25, 2014 at 6:35pm
जाग्रत भाव लिए प्रेरक गीत महानुभाव , साधुवाद |
Comment by MAHIMA SHREE on August 25, 2014 at 5:40pm

वाह बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति आदरणीय हार्दिक बधाई आपको 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 25, 2014 at 3:25pm

कथ्य के माध्यम से संदेश देती इस कविता के शिल्प पर ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है.

इस मंच का लाभ उठाना हर तरह से लाभदायी है.

प्रस्तुति के लिए सादर धन्यवाद.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 24, 2014 at 8:16pm

लोकतंत्र कब तलक यूँ जनता को भरमाएगा।

स्वतंत्रता का जश्न अब न और देखा जाएगा।

भ्रष्टाचार दुष्कर्मों से घिरा हुआ है देश देखलो,

इतिहास कल का नारी के नाम लिखा जाएगा।

क्रांति का बिगुल ही अब नव-चेतना जगाएगा।----वाह्ह बहुत सुन्दर सार्थक प्रस्तुति,कब कहेंगे हम उन्नत भारत ,विकसित भारत ..बधाई आपको देश से सरोकार की इस सुन्दर प्रस्तुति पर आ० डॉ.गोपाल कृष्णा जी

  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service