कविता गीत ग़ज़ल रूबाई।
सबने माँ की महिमा गाई।।
जल सा है माँ का मन निर्मल
जलसा है माँ से घर हर पल
हर रँग में रँग जाती है माँ
जल से बन जाता ज्यों शतदल
माँ गंगाजल, माँ तुलसीदल
माँ गुलाबजल, माँ है संदल
जल-थल-नभ, क्या गहरी खाई।
माँ की कभी नहीं हद पाई।
कविता गीत----------------
माँ फूलों की बगिया जैसी
रंगों में केसरिया जैसी
माँ भोजन में दलिया जैसी
माँ गीतों में रसिया जैसी
माँ वीरा, माँ धी, माँ बहना
माँ अनमोल जड़ी, माँ गहना।
रूप स्वरूप धरे जब-जब भी
दूध दही मक्खन सी पाई।
कविता गीत-------------------
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
प्रणाम। सभी का बहुत बहुत आभार।
बहुत सुन्दर भाव माँ के लिए हर शब्द भाव कम पड़ता है , बहुत सुन्दर रचना है हार्दिक बधाई
बहुत सुन्दर ..माँ के लिए लिखी गई रचना हेतु सादर बधाई
माँ की शान में कही गई रचना पर आपको बहुत बहुत बधाई आदरणीय डा. गोपाल जी.
सभी पाठकगणों व विद्वान् साथियों को आभार। अभिव्यक्ति के लिए सुंदर मंच मिला है।
माँ की शान में लिखी रचना हृदय को छूती है बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...हार्दिक बधाई आपको आ० डॉ.गोपाल कृष्ण जी|
प्रणाम सर,
माँ की ममता को शब्दो में वर्णित करना अतना आसान नही है लेकिन आपने माँ के व्यक्तित्व को इतने सुन्दर शब्दो में पिरोया है ....बहुत ही सुन्दर ....सत् सत् नमन् .... सादर बधाई
माँ भोजन में दलिया जैसी
माँ गीतों में रसिया जैसी
माँ वीरा, माँ धी, माँ बहना
माँ अनमोल जड़ी, माँ गहना।
आदरणीय भाई गोपाल किशन जी इन खूबसरत पक्तियों के लिए कोटि कोटि बधाई ।
प्रथम अनुच्छेद में 'जल' शब्द का सुन्दर प्रयोग आकर्षित करता है, दूसरा अनुच्छेद भी ह्रदय ग्राही है ...वैसे माँ के जितने भी गुण गए जाएँ कम है ...पर दुर्भाग्य है माँ बननेवाली बालिका, महिला का सम्मान दिनोदिन कम होता जा रहा है ..सादर बधाई सुन्दर प्रस्तुति के लिए...श्री गोपाल कृष्ण जी ...
" सुंदर रचना के लिए बहुत बधाई सादर............. " |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online