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वो मेरा कुछ नहीं लगता
और मैं कोई महान व्यक्ति भी नहीं
फिर भी बार बार वो
मेरे पैर पकड़ रहा था  
पता है क्यों ?
मैंने सिर्फ दो रोटी दी उसे
**************************
बहुत दुश्मन है उसके
गलती ?
बहुत अच्छा आदमी है वो
*******************************
सिसकियाँ मत लो ग़म-गीं हवाओ
चुप हो जाओ
पता है क्यों?
वो आ रहीं है
*********************************
लोग कहते है उनकी आँखों में
प्यार का समंदर है
फिर भी मैं क्यों ?
प्यासा लौटा
****************************
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

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Comment by rajesh kumari on August 25, 2014 at 5:09pm

सभी क्षणिकाएं सार्थक हैं --दूसरी और अंतिम तो बहुत अच्छी लगी |बधाई आपको 

Comment by Pawan Kumar on August 25, 2014 at 2:15pm

सुन्दर प्रस्तुति भईया, हार्दिक बधाई!

Comment by savitamishra on August 25, 2014 at 2:11pm

बहुत बढ़िया

Comment by Sarita Bhatia on August 25, 2014 at 1:47pm

वाह बहुत खूब 

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