वो मेरा कुछ नहीं लगता
और मैं कोई महान व्यक्ति भी नहीं
फिर भी बार बार वो
मेरे पैर पकड़ रहा था
पता है क्यों ?
मैंने सिर्फ दो रोटी दी उसे
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बहुत दुश्मन है उसके
गलती ?
बहुत अच्छा आदमी है वो
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सिसकियाँ मत लो ग़म-गीं हवाओ
चुप हो जाओ
पता है क्यों?
वो आ रहीं है
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लोग कहते है उनकी आँखों में
प्यार का समंदर है
फिर भी मैं क्यों ?
प्यासा लौटा
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राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित
Comment
सभी क्षणिकाएं सार्थक हैं --दूसरी और अंतिम तो बहुत अच्छी लगी |बधाई आपको
सुन्दर प्रस्तुति भईया, हार्दिक बधाई!
बहुत बढ़िया
वाह बहुत खूब
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