सबकुछ जाने सबकुछ समझे
पागल ये फिर भी धुन है
औचक टूट गए सपनों की
उचटी आँखों की धुन है |
इस धुन की ना जीभ सलामत
ना इस धुन के होठ सलामत
लँगड़े, बहरे, अंधे मन की
व्याकुल ये कैसी धुन है |
खेल-खिलौने टूटे-फूटे
भरे पोटली चिथड़े-पुथड़े
अत्तल-पत्तल बाँह दबाए
खोले-बाँधे की धुन है |
क्या खोया-पाना, ना पाना
अता-पता न कोई ठिकाना
भरे शहर की अटरी-पटरी
पर गिरती-पड़ती धुन है |
फूटा लोटा, टूटी डोरी
भठे कुएँ पर खड़ा बटोही
बेसुध कंकड़-पत्थर भरती
ये कैसी प्यासी धुन है |
किए-धरे का लेखा-जोखा
झाड़ों ने कब तौला-देखा
काँटों में घायल पंखों की
ज्यों फड़फड़ करती धुन है |
ऐसा होता, वैसा होता
तो आज समय कैसा होता
बीती बातों को धुनने की
बेमतलब गुनती धुन है |
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
-- संतलाल करुण
Comment
आदरणीया मंजरी मैडम,
गीत-रचना पर प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया के लिए सहृदय आभार !
आदरणीय श्याम नरायन वर्मा जी,
गीत पर प्रशंसात्मक उद्गार के प्रति हार्दिक आभार !
आदरणीय जितेन्द्र गीत जी,
गीत की सराहना के लिए हार्दिक आभार !
आदरणीया राकेश कुमारी जी,
गीत की प्रशंसा के लिए सहृदय आभार !
आदरणीय जे.एल. सिंह जी,
गीत पर प्रेरक उद्गार के प्रति हार्दिक आभार !
आदरणीय डॉ. गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी,
"धुन ही होती है धुन जैसी
धुन में बेसुध तन मन है I
धुन की धुन मे सब मतवाले
धुन ही कवि का जीवन है I" ... गीत पर काव्यमयी प्रेरक प्रतिक्रिया के लिए सहृदय आभार !
ऐसा होता, वैसा होता
तो आज समय कैसा होता
बीती बातों को धुनने की
बेमतलब गुनती धुन है |वाह सच तो है ...हार्दिक बधाई आदरणीय संतलाल जी सादर
आदरणीय संत लाल जी , बहुत सुन्दर , गहरे आध्यात्मिक दर्शन -भावों को समेटे आपके गीत के लिए बधाइयाँ |
बहुत सुन्दर रचना आदरणीय
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online