For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल...मुस्कुराना आ गया.

हौंठ सीं गर्दन हिलाना आ गया.
दोस्त ! जीने का बहाना आ गया.

जिन्दगी में गम मुझे इतने मिले,
अश्क पीकर.. मुस्कुराना आ गया.

ख्वाब सब आधे अधूरे रह गए,
दर्द सीने में ...बसाना आ गया.

दर्द के किस्से सुनाऊँ किस तरह,
गीत गज़लें गुनगुनाना आ गया.

साथ रहने का असर भी देखिये,
आप से बातें छिपाना आ गया.

हादसों ने पाल रख्खा है मुझे.
मौत से बचना बचाना आ गया.

बात मुद्दों पर नहीं हैं आजकल,
देखिये कैसा जमाना आ गया.

चीज हर बिकती मिली है इस शहर,
कीमतें मुझको चुकाना आ गया.

तू मिली तो दर्द गम सब छू हुए,
प्यार में पींगें बढ़ाना आ गया.
**हरिवल्लभ शर्मा 
दिनांक.08.09.2014

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 760

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 10, 2014 at 11:25am


जिन्दगी में गम मुझे इतने मिले,
अश्क पीकर.. मुस्कुराना आ गया.


दर्द के किस्से सुनाऊँ किस तरह,
गीत गज़लें गुनगुनाना आ गया.


हादसों ने पाल रख्खा है मुझे.
मौत से बचना बचाना आ गया.

बात मुद्दों पर नहीं हैं आजकल,
देखिये कैसा जमाना आ गया.....................वाकई यही हो रहा है 

चीज हर बिकती मिली है इस शहर,
कीमतें मुझको चुकाना आ गया.................बिलकुल सही  

तू मिली तो दर्द गम सब छू हुए,
प्यार में पींगें बढ़ाना आ गया................................बहुत बढ़िया रचना ..मेरि तरफ से हार्दिक बधाई सादर 

Comment by harivallabh sharma on September 10, 2014 at 12:17am

आदरणीय narendrasinh chauhan जी आपका हार्दिक आभार आपका अनुमोदन मिला..शुक्रिया.

Comment by harivallabh sharma on September 10, 2014 at 12:15am

जनाब शकील समर साहब ग़ज़ल पर हौसला अफजाई हेतु दिली शुक्रगुजार हूँ.

Comment by harivallabh sharma on September 10, 2014 at 12:14am

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव साहब आपकी स्नेहिल टीप हेतु हार्दिक शुक्रिया ..सादर 

Comment by harivallabh sharma on September 10, 2014 at 12:12am

आदरणीय Shyam Narayan Verma साहब आपके अनुमोदन हेतु हार्दिक शुक्रिया.

Comment by शकील समर on September 9, 2014 at 4:29pm

वाह, खूबसूरत गजल के लिए बधाई।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 9, 2014 at 1:16pm

हरिवल्लभ जी

इन ह्रदय-वल्लभ गजलो का शुक्रिया i

Comment by Shyam Narain Verma on September 9, 2014 at 9:54am
सुन्दर गज़ल .... सादर बधाई.....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
47 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"//'इश्क़ ऐन से लिखा जाता है तो  इसके साथ अलिफ़ वस्ल ग़लत है।//....सहमत।"
52 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीर जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें। "
52 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमित जी, बहुत धन्यवाद।  1 अगर जान जाने का डर बना रहे तो क्या ख़ाक़ बग़वत होगी? इस लिए,…"
55 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
55 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ख़ुदकुशी आ गई है आदत में अब मज़ा आएगा बग़ावत में /1 आदत मतलब…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार करें।"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें  2122 1212…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें जिसको…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"मुहतरमा ऋचा यादव जी ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए आपको मुबारकबाद।  "काँटे चुभने लगे हैं…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, तरही मिसरे पर उम्दा ग़ज़ल कही है आपने, शे'र दर शे'र दाद के…"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service