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1-        

संस्‍कार होंगे

राम राज्‍य के स्‍वप्‍न

साकार होंगे !

2-        

बेच ज़मीर

बनता है तब ही

कोई अमीर !

3-        

स्‍वतंत्र हुए

बगल के नासूर

हैं पाले हुए !

4-        

है नारी वो क्‍या

न सिर पे पल्‍लू न

आँखों में हया !

5-        

क्‍या नाजायज

सत्‍ता, युद्ध, प्रेम में

सब जायज !

*मौलिक एवं अप्रकाशित*

 

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Comment by MAHIMA SHREE on October 7, 2014 at 8:24pm

बेच ज़मीर

बनता है तब ही

कोई अमीर ...बढ़िया है .. 

आँखों में ह्या तो ठीक है ..पर सर पर पल्लू रखने वाली सच में दिल में सबके लिए इज्जत और आँखों में ह्या रखती है जरुरी नहीं .... इस सोच से आगे निकलना होगा सादर 

Comment by रमेश कुमार चौहान on September 26, 2014 at 2:17pm

 बहुत सुंदर बधाई

Comment by harivallabh sharma on September 17, 2014 at 11:17am

बहुत सुन्दर हाइकू ..

स्‍वतंत्र हुए

बगल के नासूर

हैं पाले हुए !..बधाई आपको.

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 15, 2014 at 5:39pm
बेच ज़मीर
बनता है तब ही
कोई अमीर !
सुन्दर, बधाई आदरणीय डॉo गोपाल कृष्ण भट्ट जी .

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