रेखागणित क्या है ?
मै नहीं जानता
रैखिक ज्ञान का पारावार है
मान लेता हूँ
मेरे लिए रेखा मात्र रेखा है
सरल या विरल
सरल यानि मिलन से दूर
मिलन के लिए सरलता नहीं
तरलता चाहिए
अकड़ नहीं विनम्रता चाहिए
इसीलिये सरल रेखा
मुड़ कर ही मिल पाती है
वह भी स्वयं से
उसका पोर-पोर ही है मिलन बिंदु
जिसका चरम रूप है वृत्त
वृत्त क्या ? महज एक शून्य
शून्य अर्थात शून्य
स्वयं से मिलन का अर्थ I
दो सरल समांतर रेखाये
भी नहीं मिलती
साथ-साथ चल सकती है
अनंत तक
अकड़ मिलने नहीं देती
पर दो तिरछी रेखाएं भी पर्याप्त नहीं है
एक परिपूर्ण मिलन के लिए
यदि उनकी दिशायें भिन्न हैं
पहुँच से परे हैं
सहज नहीं है दो रेखाओं का मिलन
द्वाधिक रेखायें भी तभी मिलती हैं
जब उभयनिष्ठ हो उनका एक बिंदु
तब रेखायें मिलती भी हैं
और काटती भी हैं
मानो यह भी सृष्टिगत प्रणय है
पर संक्रमण बिंदु से
कौन कितना दूर है
इससे फर्क पड़ता है
सम्बन्ध की प्रगाढ़ता का
यह भी मानदंड है I
(मौलिक और अप्रकाशित)
Comment
सहज नहीं है दो रेखाओं का मिलन
द्वाधिक रेखायें भी तभी मिलती हैं
जब उभयनिष्ठ हो उनका एक बिंदु
तब रेखायें मिलती भी हैं
और काटती भी हैं
मानो यह भी सृष्टिगत प्रणय है
पर संक्रमण बिंदु से
कौन कितना दूर है
इससे फर्क पड़ता है
सम्बन्ध की प्रगाढ़ता का
यह भी मानदंड है I ...वाह कितना खुबसूरत बिम्ब के साथ सम्बन्धो को परिभाषित किया है ..गणित जैसे शुष्क विषय को बिम्ब बनाकर रोचक और गंभीर कविता के लिए ह्रदय से बधाई स्वीकार करें आदरणीय सादर
" बहुत सुन्दर ........ अतुकांत रचना के लिये हार्दिक बधाइयाँ ................. " |
संबंधों की पराकाष्ठा को रेखागणित की भाषा में बहुत ही सुन्दरता से समझाया आपने आदरणीय डा.गोपाल जी. सादर बधाई स्वीकारें
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