For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राम के वंशज कहाँ खो गये --डा० विजय शंकर

राम के वंशज कहाँ खो गये ,
उत्तराधिकारी रावण के
क्यों प्रबल हो गये ॥

कितना कठिन है राम के
रूप को लोगों में ज़िंदा रखना ,
राम की मर्यादा बनाये रखना ,
रावण तो है , स्वतः है ,
अपने आप ज़िंदा रहता है |

कैसे कुछ लोग राम राम जपते हैं ,
रावण जैसा बनने को तरसते हैं ।
मौक़ा मिलते ही रावण बनने के
हर एक जतन करते हैं |

उन्हें भी सोने की लंका चाहिए ,
सोने का हिरन चाहिए ,
सुंदरी हरण का मौक़ा चाहिए |

राम का त्याग , राम का तप
राम का वनवास किसे चाहिए ,
राम का प्रायश्चित किसे चाहिए |

राम के वंशज कहाँ खो गये ,
उत्तराधिकारी रावण के
क्यों प्रबल हो गये ॥

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 836

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 4, 2014 at 9:36pm

आपकी स्वीकृति से कविता का मान बढ़ा है , आभार. धन्यवाद आदरणीय नरेंद्र सिंह चौहान जी ,  

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 4, 2014 at 3:32pm

आदरणीय राजेश कुमारी जी रचना को प्रशस्ति प्रदान करने के लिए आभार एवं बधाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 4, 2014 at 11:23am

बहुत सुन्दर विचारणीय भाव प्रधान प्रस्तुति हार्दिक बधाई आपको डॉ. विजय शंकर जी | 

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 3, 2014 at 6:18pm
आदरणीय अखिलेश कृष्ण जी , आपके द्वारा जोड़ी गयी पंक्तियों के लिए आभार . रचना को स्वीकार कर मान देने के लिए ह्रदय से धन्यवाद , सादर . विजयदशमी की शुभकामनायें .
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 3, 2014 at 6:14pm
प्रिय जीतेन्द्र जी , विजयदशमी की शुभकामनायें . रचना को मान देने के लिए ह्रदय से धन्यवाद ल सद्भावनाओं सहित .
Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 3, 2014 at 1:25pm

आदरणीय .विजय शंकर भाई 

सबके हृदय में राम हैं, पर सब की सोच में रावण।

इसीलिए मौका मिलते ही, बन जाते हैं रावण ॥

अति सुंदर , हार्दिक बधाई स्वीकार करें । 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 3, 2014 at 12:47pm

सदा की तरह आपने एक और गहन रचना रची, आदरणीय डा.विजय जी. एक सार्थक प्रश्न खड़ा किया है. बहुत बहुत बधाई आपको व् विजयादशमी की शुभकामनाएं

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 3, 2014 at 10:21am
आदरणीय इंजीo गणेश जी बागी जी आपको रचना पसंद आई, रचना सार्थक हुई, धन्यवाद।
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 3, 2014 at 10:18am
धन्यवाद आदरणीय सविता मिश्रा जी .

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 3, 2014 at 8:22am

भाव प्रधान इस रचना पर बधाई प्रेषित है आदरणीय।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
18 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
19 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
23 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service