For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक व्यवस्थित इंटरप्राइज़-डा० विजय शंकर

अच्छे काम का प्राइज़ हो न हो
बेईमानी एक व्यवस्थित इंटरप्राइज़ है .
बेईमानी स्वयं बड़ी ईमानदारी से होती हैं .
सिद्धांतों , आदर्शों में नहीं , व्यवहार में होती है .
इसीलिये लोग किसी को यह सलाह नहीं देते
कि बेईमान बनो, कहते हैं व्यवहारिक बनो .

व्यवहार का नेटवर्क कितना भी गहन क्यों न हो
व्यवस्था का हर अंग अकेला माना जाता है ,
कोई अदना या सरगना कभी पकड़ा भी जाए ,
वह स्वतन्त्र, अकेला इंटरप्रिन्योर माना जाता है .
सजा सिर्फ उसे होती है ,चाहे जितनी भी देर से हो .
उसके कमती होने से नेट कमजोर नहीं होता है .
व्यवस्था का कभी कहीं भी कोई दोष नहीं होता है ,
उसे बदलने का जिक्र या कोई आक्रोश नहीं होता है .
व्यवहार बना रहता है , कारोबार चलता रहता है .
सजा इकलौते को होती है,भले ही वह व्यवस्था का
जनक हो , नायक हो या सर्वेसर्वा हो .

उसके अपना उत्तराधिकारी चुनने का नैसर्गिक
अधिकार प्रयोग करने का अधिकार बना रहता है.
उसकी बनाई लंका सारी ईमानदार मानी जाती है,
वह वैसे ही बनी रहती है और चलती रहती है .
क्योंकि बेईमान अकेला इंटरप्रिन्योर होता है ,
व्यवस्था का कहीं कभी कोई दोष नहीं होता है .

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 641

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 7, 2014 at 10:04pm
आदरणीय महिमा श्री जी , आपकी प्रशंसा सादर स्वीकार है , पर यहां कुछ बदलेगा , बस, यही सोचना साकार नहीं हो पाता है . बस एक कोशिश है जो हम करते रहते हैं .
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 7, 2014 at 9:58pm
प्रस्तुति की प्रशस्ति के लिए आभार आदरणीय हरी वल्लभ शर्मा जी . बात कुछ यूँ ही है , जब कोई चीज व्यवहार में आ जाती है तो उसका रूप स्वरुप बन जाता है और वह दोष रहित हो जाती है . व्यवहार इसलिए चलते और पलते हैं क्योंकि हम उन्हें चलाते हैं और उन्हें पालते भी हैं .
Comment by MAHIMA SHREE on October 7, 2014 at 9:39pm

समाज में व्यवहारिकता के नाम पर व्यवस्था के हर मोड़ पर किस तरह से बेईमानी को प्रश्रय दे दिया गया है उसकी अच्छी व्यंगात्मक लहजे में आपने अच्छी खबर ली है ..हार्दिक बधाई आपको सादर 

Comment by harivallabh sharma on October 7, 2014 at 9:08pm

बहुत सुन्दर आदरणीय Dr Vijay Shanker जी बेईमानी का इमानदारी से संचालन ..सत्ता का मूल वही पर दोषी नहीं...सुन्दर तंज देती व्यंजना ..बधाई आपको.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service